भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करते हुए आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन घोटाला की जांच सीबीआई से कराने को लेकर दिए गए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने का मकसद भ्रष्टाचारियों को बचाना नहीं‚ बल्कि एसटीएफ द्वारा की की जा रही आयुष घोटाले की मुकम्मल जांच से संतुष्ट होना है।
आला अफसरों के अनुसार आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन घोटाला में एसटीएफ की द्वारा की गई जांच से कोई भ्रष्टाचारी बचने नहीं पाएगा। यूपी सरकार आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन घोटाले की जांच के हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जल्दी ही याचिका दाखिल करेगी‚ ताकि सीबीआई इस मामले की जांच ना करे।
फिलहाल सरकार की इस मंशा को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाया है। वर्मा का दावा है कि योगी सरकार के पहले शासनकाल में आयुष कॉलेजों में नियमों कायदों को ताक पर रखते हुए आठ सौ से अधिक बच्चों का एडमिशन किया गया था। इस घोटाले का खुलासा बीते साल अक्टूबर में हुआ‚ तो खुद सरकार की तरफ से यह कहा गया कि उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी‚ लेकिन बाद में सरकार का मन बदल गया और नवंबर में एसटीएफ को इस मामले की जांच सौंप दी गयी।
एसटीएफ के अधिकारियों ने बीते साल 4 नवंबर को तत्कालीन आयुष निदेशक प्रो. एसएन सिंह ने इस घोटाले की एफआईआर करायी और सरकार के आदेश पर एसटीएफ में इस मामले की जांच शुरू की। 6 नवंबर को सरकार ने आयुष निदेशक प्रो. एसएन सिंह‚ प्रभारी अधिकारी उमाकांत को निलंबित कर दिया। सरकार के इस एक्शन के बाद 10 नवंबर को एसटीएफ ने प्रो. एसएन सिंह‚ उमाकान्त समेत 12 गिरफ्तार कर लिया फिर गत 14 फरवरी को इस घोटाले में लिप्त 13 लोगों के खिलाफ कोर्ट में एसटीएफ ने पहली चार्जशीट पेश की।
इस मामले में बीते 24 मई को हाईकोर्ट ने संतुष्टि आयुर्वेद कालेज की निदेशक रितु की याचिका पर सुनवाई करते हुए समूचे प्रकरण की सीबीआई को जांच का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अगस्त में इस मामले की रिपोर्ट सीबीआई से मांगी है। हाईकोर्ट के इस आदेश की मुख्य वजह घोटाले में योगी सरकार के पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी और सीनियर आईएएस प्रशांत त्रिवेदी पर घूस लेने का आरोप लगा रहा है।