ममता के गढ़ में , ज्योतिरादित्य सिंधिया बने भाजपा के स्टार प्रचारक

राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा ने बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान वाली सीटों के लिए स्टार प्रचारक बनाया है। यह पहला मौका है जब भाजपा ने उन्हें यह जिम्मा सौंपा है। इससे पहले मध्य प्रदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा सहित कई दिग्गज वहां प्रचार अभियान में शामिल हो चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया बंगाल में कांग्रेस की नीतियों पर प्रहार करेंगे। साथ ही कमजोर संगठन पर भी निशाना साध सकते हैं, जिससे कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा का मुद्दा फिर सामने आ सकता है।
दरअसल, ममता सरकार को घेरने के लिए भाजपा पहले से ही मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को भेजती रही है, लेकिन जिन सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव माना जाता रहा है, वहां भी पार्टी जीत की संभावनाएं तलाश रही है। चूंकि बंगाल में चुनावी रण भाजपा बनाम टीएमसी हो चला है, तो भाजपा मतदाताओं के सामने सिंधिया के बहाने मध्यप्रदेश के सफल सियासी प्रयोग को रखना चाहती है।
इसकी दूसरी वजह यह भी है कि बंगाल में भाजपा के करीब 130 प्रत्याशी टीएमसी, कांग्रेस या वाम दलों से आए हैं। ऐसे में भाजपा मतदाताओं को भरोसा दिलाना चाहती है कि बाहर से आए नेता भी भाजपा में वैसे ही समरस होकर विकास को गति देते हैं जैसे मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायक-मंत्री।

मध्यप्रदेश में अपने समर्थकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया मार्च, 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे, जिसके चलते कांग्रेस की कमल नाथ सरकार गिरी और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस साबित करने की कोशिश करती रही कि सिंधिया का कद कम हुआ है और भाजपा उनसे किए वादे से पीछे हटती रही है। इधर, भाजपा सियासत के ऐसे नए दौर में असीम संभावनाएं देखती है, जिसमें दूसरे दलों में असंतुष्ट दिग्गजों को भाजपा में लाया जाए, जिससे न केवल भाजपा का विस्तार हो, बल्कि विपक्षी दलों को झटका भी लगे। ऐसे में मामले में मध्यप्रदेश बड़ी प्रयोगशाला साबित हुआ।

भाजपा ने सारे समीकरणों को दरकिनार कर शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों को न केवल अच्छा-खासा मौका दिया, बल्कि विधानसभा की 28 सीटों में से 25 पर उपचुनाव में सिंधिया समर्थक उन सभी पूर्व विधायकों को उसी सीट पर टिकट दिया, जो अपनी विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में आए थे।