राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को एक हिस्ट्रीशीटर ने 6 फीट जमीन के विवाद में अपने साथियों संग अपनी भतीजी, नाती और चचेरे भाई को गोलियों से भून दिया। मृतक के घर की दीवारों और सड़क पर फैला खून हमलावरों के खूनी खेल की कहानी बयां कर रहा था। गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका सहम गया। चंद मिनट में ट्रिपल मर्डर की सूचना से पूरा महकमा हिल गया।
ग्रामीणों का कहना है कि विवाद सिर्फ वर्चस्व को लेकर था। जिसके लिए 6 फीट विवादित जमीन वजह बनी। वहीं, प्रशासन जमीनी विवाद में हत्या की बात को नकार रहा है। आपराधिक घटना बता रहा है।
वारदात के बाद शुक्रवार को पुलिस ने घटनास्थल से कुछ दूरी पर घटना में इस्तेमाल जीप, लाइसेंसी राइफल और चालक को पकड़ लिया। साथ ही मुख्य आरोपी का जल्द गिरफ्तार करने का दावा कर रहा है। घटना की गंभीरता को देखते हुए गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया है। सीनियर अफसर भी डेरा डाले हुए हैं।
वारदात मलिहाबाद के मोहम्मदनगर की है। शुक्रवार दोपहर 3:40 बजे फरीद के घर के बाहर थार गाड़ी रुकती है। नीचे उतरते ही हिस्ट्रीशीटर लल्लन उर्फ गब्बर साथियों के साथ फायरिंग शुरू कर देता है। हिस्ट्रीशीटर लल्लन ने सबसे पहले फरीद के बेटे हंजला के सिर पर गोली मार दी। उसके बाद अपने चचेरे भाई मुनीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उसकी हत्या कर दी।
फायरिंग की आवाज सुनकर फरहीन (हंजला की मां) गेट पर पहुंची तो लल्लन के बेटे फराज ने उससे राइफल छीन कर उसकी भी गोली मारकर हत्या कर दी। आसपास के लोग कुछ समझते इससे पहले ही 3 हत्याएं हो चुकी थी। फरीद के घर की चौखट और अंदर तक खून ही खून फैल गया था।
चारों तरफ खून और चीख-पुकार के बीच पहुंची पुलिस और प्रशासन की टीम को लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। हालांकि, पुलिस-प्रशासन ने लोगों को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वसान देकर किसी तरह शांत कराया।वारदात में मुनीर अहमद खां उर्फ ताज (55 साल) और फरीद का बेटा हंजला खान ( 15 साल) व पत्नी फरहीन खान (40 साल) की मौत हो गई।
सीसीटीवी में दिख रहा है कि लल्लन का बेटा फराज फरहीन को धक्का मार देता है। इस पर मुनीर फराज को पकड़ लेते हैं। इतने में फराज ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगता है। गोली चलते ही भगदड़ मच जाती है। पहली गोली मुनीर को लगती है। उसके बाद फराज ने घर के लॉबी में खड़े हंजला को गोली मार दी। फरहीन बेटे के पास पहुंचती हैं तो उन्हें भी फराज गोली मार देता है। तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद लल्लन बेटे फराज के साथ तार में बैठकर फरार हो जाता है।
इस घटना पर फरीद का कहना है कि उनका सीधा कोई विवाद ही नहीं था। पैमाइश को लेकर उनके पास समन आया था। वह मौके पर पहुंचे भी नहीं थे। बीच रास्ते से ही लौट आए थे। फरीद के मुताबिक, पता नहीं क्यों उनके परिवार को निशाना बनाकर हत्या कर दी। जो भी विवाद था वह तैयब व अन्य लोगों से था। जिनकी जमीन थी। जिसकी पैमाइश होनी थी।
गब्बर उर्फ लल्लन पर दर्ज हैं 18 मुकदमे, फिर भी बन गया शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट लल्लन उर्फ गब्बर के ऊपर शहर में 18 मुकदमे दर्ज हैं। वहीं मलिहाबाद थाने में उसकी हिस्ट्रीशीट खुली है। इसके बाद भी उसकी शस्त्र लाइसेंस ही नहीं पासपोर्ट भी बन गया। पुलिस-प्रशासन की इस लापरवाही का ही नतीजा है कि अपराधी को किसी का खौफ नहीं है
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, उसके खिलाफ मलिहाबाद में 1988 में पहला बलवा और मारपीट का केस दर्ज हुआ था। उसका 2010 में शस्त्र लाइसेंस भी बना। लल्लन खान का पासपोर्ट भी है। इससे वह पौलेंड तक हो आया है। इसकी जानकारी होने के बाद पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मचा है कि इतने आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद उसका पासपोर्ट और लाइसेंस कैसे बन गया। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच के आदेश देते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घटना की मुख्य वजह बनी जमीन की पैमाइश की जानकारी स्थानीय पुलिस को नहीं थी। जबकि जिला प्रशासन के मुताबिक एक आदेश के तहत लेखपाल पैमाइश के लिए पहुंचा था। नियम है कि जमीनी विवाद के मामलों में पैमाइश के दौरान प्रशासन की तरफ से स्थानीय पुलिस को लिखित सूचना देनी होती है।
ग्रामीणों का कहना है कि गब्बर के रसूख के आगे लेखपाल रघुवीर यादव ने अपने स्तर से ही पैमाइश करने पहुंच गया। जब विवाद हुआ तो पैमाइश रुक गई। उसके कुछ ही देर बाद घटना को अंजाम दिया गया।
डीएम सूर्यपाल गंगवार देर रात मौके पर पहुंचे। घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान मीडिया को बताया कि हत्याकांड के पीछे जमीन विवाद नहीं है। यह एक आपराधिक घटना है। लल्लन और सलीम भाई हैं। सलीम की बेटी को भी गोली मारी गई है।
दोनों के बंटवारे का मुकदमा हुआ, जिस पर साल 2012 में निर्णय आया। जिसकी अपील कमिश्नरी में चल रही है। एक पक्ष की ओर से पैमाइश के लिए आवेदन किया गया था। शुक्रवार का दिन पैमाइश के लिए निर्धारित हुई थी। हालांकि स्थगन आदेश की जानकारी मिलने पर लेखपाल ने पैमाइश से मना कर दिया था।