जल संकट से बचना है तो हर बूंद को सहेजना होगा : आदर्श कुमार

पंचतत्व जीवन के लिए आधार माने गए हैं। उसमें से एक तत्व जल भी है। अगर जल ही नहीं रहेगा तो जीवन की कल्पना कैसी और सृष्टि का निर्माण कैसा? जल का महत्व इस बात का भी परिचायक है कि दुनिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ और प्राचीन नगर नदियों के किनारे ही बसे और फले-फूले। लेकिन,आज विकास की अंधी दौड़ और विलासिता भरी जिंदगी में प्राकृतिक संसाधनों का तो जैसे कोई मोल नहीं रह गया है। पर्यावरण के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह परिणाम हुआ कि आज दुनिया के अधिकांश देश अपनी आबादी को पीने का स्वच्छ पानी तक मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है।

देश में अधिकांश लोग पानी के महत्व को न ठीक से समझते हैं ना ही समझना चाहते हैं। बढ़ती आबादी के बीच बेतहाशा पानी की बर्बादी भविष्य में गंभीर जल संकट पैदा करेगी। ऐसे में स्वच्छ पेयजल मुहैया करना बड़ी चुनौती रहेगा। जिस तरह से भूजल का स्तर गिरता जा रहा है, वो अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती है। यदि इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर 2020 के आंकड़ों पर देखें तो देश में करीब 60 करोड़ लोग आज पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। जोकि भविष्य में 140 करोड़ पर पहुंच जाएगा। एक शोध के मुताबिक आज जिस रफ्तार से जंगल खत्म हो रहे हैं उससे तीन गुना अधिक रफ्तार से जल के स्रोत सूख रहे हैं। सक्रिय भूमि जल संसाधन मूल्यांकन रिपोर्ट 2022′ के मुताबिक भारत में कुल वार्षिक भू-जल पुनर्भरण 437.60 बिलियन क्यूबिक मीटर है, जबकि वार्षिक भू-जल निकासी 239.16 बिलियन क्यूबिक मीटर है। इन आँकड़ों से एक बात यह भी स्पष्ट होती है कि भारत विश्व में भू-जल का सबसे अधिक निष्कर्षण करता है। इसके इतर बात करें तो भारत में विश्व की कुल आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है, जबकि देश में पीने योग्य जल संसाधनों का मात्र चार प्रतिशत भाग ही उपलब्ध है। जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर है और देश के लगभग 70 प्रतिशत जल स्रोत प्रदूषित हैं। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2050 तक हमारी जल की आवश्यकता 1,180 अरब घन मीटर होने की संभावना है। देश में जल की उपलब्धता वर्तमान में 1,137 अरब घन मीटर है। 2030 तक देश की 40 प्रतिशत आबादी को पीने योग्य स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होगा। यदि भारत के ग्रामीण जीवन और खेती को बचाना है तो पानी की हर बूंद को सहेजने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

अब तक की पूरी स्थिति पर अगर नजर डालेंगे तो पायेंगे कि अभी तक हम पानी का उपयोग अनुशासित ढंग से नहीं करते आ रहें है। जरूरत से ज्यादा पानी का नुकसान करना तो जैसे हमारी आदत बन गई हो। ऐसे में हमारी भावी पीढ़ी के लिए भी जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इसके लिए हमें कई कदम उठाने होंगे। देश में तेजी से गिरते भूगर्भ जल स्तर के बीच हमें जल को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।