पृथ्वी पर बढ़ते हुए तापमान के कारण विज्ञान जगत में खलबली मची हुई है। क्योंकि तापमान कम होने की बजाय बढ़ता ही चला जा रहा है।
हाल ही में हुए एक शोध के माध्यम से वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसे ही तापमान बढ़ता रहा तो एक शतक के भीतर (सन् 2100 तक) पुरी दुनियां में बचे हुए आधे से ज्यादा हेरिटेज ग्लेशियर पिघल जायेंगे।
इनके पिघलने के साथ ही पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है और ग्लेशियर के पिघलने से समुद्र में पानी का स्तर बढ़ जायेगा जो मानसून चक्र को भी प्रभावित करेगा। इंटरेनशन यूनियन फॉर कंजर्वेशन आॅफ नेचर (आईयूसीएन) ने इन हेरिटेज ग्लेशियरों पर अध्ययन किया। अध्ययन में इन्वेंट्री डेटा के अलावा कम्प्यूटर मॉडल की भी मदद ली गई। जो कि वर्तमान में होने वाले परिवर्तन के बारे में का आकलन करेंगे।
बताया जा रहा है कि अब तक 46 ग्लेशियर बचे है। वैज्ञानिकों की माने तो कहा जा रहा है कि अगर ऐसे ही तापमान में बढ़ोतरी होती रही तो इनमें से केवल 21 ही रह जायेंगे। अगर बचाने के प्रयास भी किये गये तो भी 8 ग्लेशियर तो ऐसे है जिन्हें बिलकुल भी नहीं बचाया जा सकता है। शोधकर्ताओं की टीम के ही पीटर शैडी बताते है कि इन ग्लेशियर को खोना भी किसी त्रासदी से कम नहीं आँका जा सकता है।
इनके पिघलने से जल स्तर में परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव होगा। जिसका असर सीधा इंसानों पर पड़ेगा। वैज्ञानिक बताते है कि जैसे—जैसे ग्लेशियर पिघलेंगे वैसे ही पानी की समस्या बढ़ती जायेगी। इस विषय पर सोचने वाली बात ये है, जब अभी ही पानी की इतनी समस्या आ रही है तो इनके पिघलने के बाद इंसानों की हालत कैसी हो जायेगी। यह बात एक चिंता का विषय बनी हुई है।
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