रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ दौरे पर हैं। रविवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एक कार्यक्रम को संबोधित किया। राजनाथ सिंह ने कहा, “आम तौर पर जनता में यह धारणा है कि ब्यूरोक्रेट्स उस तरह से जनता के साथ पेश नहीं आते, जिस तरह से उन्हें पेश आना चाहिए। जिस दिन इस देश का नेता ‘न’ कहना और ब्यूरोक्रेसी ‘हां’ कहना सीख जाएगी, उस दिन देश का कल्याण हो जाएगा। IAS होने का अहंकार मन में नहीं आना चाहिए। अहंकार से वह अपने कद को छोटा करता है।”
रक्षामंत्री ने कहा, “नेता हर बात के लिए हां कह रहे हैं, यहां तक कि उन चीजों के लिए भी जो वे नहीं कर सकते हैं। इससे जनता का राजनेताओं पर से विश्वास उठ रहा है और भारत की राजनीति में विश्वसनीयता का संकट पैदा हो रहा है। मैंने राजनीतिक जीवन में कभी अहंकार नहीं पाला, जिस दिन व्यक्ति के अंदर अहंकार आ जाता है। उसी दिन से उसका पतन शुरू हो जाता है। इसलिए कभी मन में अहंकार नहीं आना चाहिए।”
रविवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ध्येय फाउंडेशन के कार्यक्रम रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे और सिविल सेवा में सिलेक्ट कैंडिडेट को सम्मानित किया।
रविवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में ध्येय फाउंडेशन के कार्यक्रम रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे और सिविल सेवा में सिलेक्ट कैंडिडेट को सम्मानित किया।रक्षामंत्री ने कहा, “छात्र जीवन से ही राजनीति का कीड़ा कुरेदता था। 23 साल की उम्र में जेल गया, वह इमरजेंसी का दौर था। ब्यूरोक्रेट्स को पद पर रहते हुए इस बात का भी ध्यान रखना है कि आप किसी जनप्रतिनिधि द्वारा सुझाए गए किसी भी अच्छी बात को ध्यान से सुने और यदि उचित हो तो उसे अमल में भी लाएं। अपनी जनता से संबंधित मुद्दों को तो जनप्रतिनिधि आपके सामने उठाएगा ही। इसलिए ब्यूरोक्रेट्स को अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्य करना होगा।”
संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि नौकरशाही जनता की सेवा के लिए है, उसी भाव से अधिकारी और नेता को काम करना चाहिए।
धैर्य से काम लेंगे तो कामयाबी हासिल होगी
उन्होंने कहा, “कई प्रकार की चुनौतियां आएंगी, लेकिन मेरा आपसे आग्रह है कि चाहे लाख चुनौतियां आएं, चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं। आप अपने अंदर के बच्चे को भी कभी खत्म मत करिएगा। कई बार जीवन में ऐसे मोड़ आ जाते हैं, जहां आपको समझ ही नहीं आता कि करें तो क्या करें।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “ऐसी स्थिति में विवेक का साथ न छोड़ें। आप विवेक के साथ चलें तो हो सकता है कि मुश्किलें आएं पर उनसे निकलने का रास्ता भी उन्हीं मुश्किलों में निकलता दिखाई देगा। ये बातें मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं।”