डॉ नवल शाक्य (कैंसर सर्जन लक्ष्य हॉस्पिटल लखनऊ) के साथ आज ” द दस्तक 24″ के साथ हुई प्रेस वार्ता के कुछ अंश
डॉ नवल ने कैंसर रोग पर अपने विचार रखते हुए बताया की धूम्रपान करने से न सिर्फ उस व्यक्ति को कैंसर का खतरा होता है बल्कि उसके होने वाले बच्चे में भी यह कैंसर की वजह बन सकता है। यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के एनोटॉमी विभाग की प्रोफेसर रीमा दादा के अभी हाल में हुए शोध में सामने आई है।
इस शोध के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं को ऑक्सीडेटिव डीएनए क्षति पहुंचती है। इस वजह से उनके बच्चों को कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। शोध में डॉक्टर ने 131 पिता और आरबी कैंसर जीन वाले बच्चों के नमूने एकत्र किए। इसके अलावा 50 स्वस्थ जोड़ों के भी नमूने एकत्र किए। इसमें सामने आया कि पिता के शुक्राणु में ऑक्सीडेटिव डीएनए क्षति की वजह से उनके बच्चों को कैंसर की संभावनाएं अधिक थीं। यह शोध एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिवेंशन में प्रकाशित हुआ है।
योग से मिल सकता है फायदा : प्रोफेसर रीमा दादा के मुताबिक, शोध में धूम्रपान छोड़कर योग और ध्यान करने से पिता के डीएनए में कम क्षति देखी गई। साथ ही, इससे स्पर्म के डीएनए में सुधार होता है। जोड़ों की योग और ध्यान अनुपालन के साथ फॉलोअप पर बार-बार जांच की गई।
धूम्रपान छोड़ने के साथ-साथ जिन लोगों ने योग किया, उनमें छह महीने की अवधि में डीएनए क्षति कम देखने को मिली है। इससे उनके बच्चों में कैंसर की संभावनाएं कम हो जाती हैं। योग चिकित्सकों ने भी एम्स में किए गए शोध पर सहमत जताई है।
कैंसर की रोकथाम?
कैंसर होने के खतरे को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें।
- कम वसा वाला भोजन करें तथा सब्जी, फलों और समूचे अनाजों का उपयोग अधिक करें।
- नियमित व्यायाम करें।
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