मुझे लगा फ्लाइट में शराब खरीदनी पड़ती है..पेरिस में पहली बार चॉपस्टिक से खाना सीखा : मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी की गिनती आज बड़े स्टार के तौर पर होती है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के एक्सपीरिएंस को शेयर किया है। मनोज ने कहा कि जब वो पहली बार फ्लाइट में ट्रैवल कर रहे थे तो उन्हें पता नहीं था कि उसमें शराब फ्री मिलती है।

उन्होंने फ्री के चक्कर में इतनी ज्यादा शराब पी ली कि बेहोश होकर गिर पड़े थे। मनोज ने कहा कि उनकी पहली विदेश यात्रा पेरिस के लिए थी, वहां उन्होंने पहली बार चॉपस्टिक से खाना खाया था।
मनोज बाजपेयी ने CURLY TALES को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘मैं अपनी पहली इंटरनेशनल फ्लाइट में सफर करने के लिए काफी एक्साइटेड था। मुझे एक्सचेंज प्रोग्राम के तौर पर पेरिस जाना था। मैं फ्लाइट में बैठा तो वहां शराब दी जा रही थी। मुझे लगा कि शराब बेची जा रही है लेकिन मेरे पास उस वक्त पैसे नहीं थे। उधर से लौटते वक्त मुझे पता चला कि शराब पीने के लिए कोई चार्जेस नहीं लग रहे हैं। वापस लौटते वक्त मैंने इतनी शराब पी ली कि वहीं पर बेहोश हो गया।’
मनोज ने कहा कि वो पेरिस की यात्रा उनके लाइफ में बहुत कुछ सीखा गई। उन्होंने वहां चॉपस्टिक से भी खाने की कोशिश की थी, लेकिन बुरी तरह फेल हो गए थे। मनोज ने कहा, ‘मैं पेरिस में एक रेस्टोरेंट में गया जहां लोग आसानी से चॉपस्टिक से खाना खा रहे थे। मैंने भी वैसे ही खाने की सोची लेकिन खाना बार-बार गिर जा रहा था।’
मनोज ने तब बताया कि कैसे एक औरत उनके पास आई और चॉपस्टिक से खाना सीखाया। उन्होंने कहा, ‘वो औरत मेरे सामने आकर टेबल पर बैठ गई, उसने मुझसे कहा कि आप भी इसका यूज करके खाना खा सकते हो, बस इसके लिए थोड़ी प्रेक्टिस की जरूरत होती है। मैं सच बताऊं तो मुझे इस चॉपस्टिक से काफी डर लगने लगा था। मेरी बेटी मुझसे चॉपस्टिक से खाने को कहती है क्योंकि उसे लगता है कि उसका बाप चॉपस्टिक से खाना नहीं खा सकता है। अब मैं थोड़ा बहुत इसका यूज करना सीख गया हूं।’
मनोज बाजपेयी बिहार के एक साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने 17 साल की उम्र में नाटकों में काम करना शुरू कर दिया था। जब वो बॉम्बे गए तो उन्हें वहां कोई नहीं जानता था। खाने तक के लाले पड़े थे। मनोज की उस वक्त ऐसी कंडीशन थी कि उन्हें बड़ा पाव तक महंगा लगता था। ट्रैवल करने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं रहते थे।
उन्हें 5 किलोमीटर तक तो पैदल ही चलना पड़ता था। 1994 में मनोज बाजपेयी को पहला ब्रेक महेश भट्ट ने अपने टीवी सीरियल स्वाभिमान के जरिए दिया। इसमें काम करने के लिए उन्हें 1500 रुपए प्रति एपिसोड मिलते थे।
मनोज ने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से डेब्यू किया। हालांकि 1998 में आई राम गोपाल वर्मा की ‘सत्या’ को मनोज अपना असली डेब्यू मानते हैं और इसी फिल्म ने उनकी जिंदगी बदल दी। ‘भीखू म्हात्रे’ के रोल से वो पूरे देश में पहचाने गए। इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।