औकात नहीं कि नसीर भाई के खिलाफ बोलूं : मनोज

मनोज बाजपेयी ने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स पर बात की है। मनोज ने कहा कि वे फिल्मफेयर अवॉर्ड्स को देखते बड़े हुए हैं। फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतना एक एक्टर के लिए गौरवशाली पल होता है। हालांकि मनोज ने किसी भी तरीके से यहां नसीरुद्दीन शाह का नाम नहीं लिया।

दरअसल नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में कहा कि उनके लिए इन अवॉर्ड्स का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में मिलने वाली ट्रॉफी को वे वॉशरूम के हैंडल के तौर पर यूज करते हैं।

उनके इस स्टेटमेंट पर कई फिल्म मेकर्स ने आपत्ति जताई थी। हालांकि मनोज ने कहा कि उन्होंने बस फिल्मफेयर अवॉर्ड के बारे में अपनी राय बताई थी। उनका स्टेटमेंट किसी को जवाब के रूप में नहीं था।
मनोज बाजपेयी की फिल्म सिर्फ एक बंदा काफी है, OTT के बाद थिएटर्स में भी रिलीज हो गई है। वे इन दिनों फिल्म के प्रमोशन में बिजी हैं। उनसे नसीरुद्दीन के हालिया बयान पर सवाल किया गया। टाइम्स नाउ से बात करते हुए उन्होंने कहा- फिल्मफेयर के जरिए लोगों के टैलेंट को पहचाना जाता है। फिल्मफेयर अवॉर्ड पाना किसी भी एक्टर की लाइफ के लिए बहुत बड़ा मोमेंट होता है।
हालांकि इसके बाद कई रिपोर्ट्स आईं कि मनोज ने नसीरुद्दीन को जवाब दे दिया है। अब मनोज ने खुद ट्वीट कर इन फेक खबरों से बचने की सलाह दी है, और ये ऐसी खबरें चलाने वालों को भी मुहतोड़ जवाब दिया है।

मनोज ने ट्वीट कर कहा- मेरी इतनी औकात नहीं है कि मैं नसीर भाई से ऊंची आवाज में भी बात कर पाऊं। ऐसे समाचार पता नहीं कहां-कहां से आते हैं।
नसीरुद्दीन के स्टेटमेंट पर सुभाष घई जैसे वेटरन फिल्म मेकर और अशोक पंडित ने आपत्ति जताई। सुभाष ने कहा- हमे कभी भी इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड का अपमान नहीं करना चाहिए। अवॉर्ड्स सम्मान में दिए जाते हैं। मैं कई बार इन अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुआ लेकिन सिर्फ तीन बार ही जीत पाया। हालांकि नॉमिनेट होना भी एक तरह से जीत के ही बराबर है।

‘नसीर ने ये बयान देकर दिलीप कुमार, शाहरुख के फैंस को गाली दी’
फिल्म मेकर और इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक पंडित ने कहा- उनके (नसीरुद्दीन शाह) जैसे ख्याति प्राप्त अभिनेता का ऐसे टिप्पणी करना दुखद है।

ऐसा करके उन्होंने शाहरुख खान, दिलीप कुमार और सुभाष घई के फैंस को गाली दी है। सिर्फ इसलिए कि आप को इस वक्त अवॉर्ड्स नहीं मिल रहे इसका मतलब ये नहीं कि आप फिल्मफेयर अवॉर्ड्स को उल्टा सीधा कहेंगे।

फिल्मफेयर अवॉर्ड्स की शुरुआत 1954 में हुई थी। इस अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन हर साल होता है। फिल्मफेयर अवॉर्ड में जो ट्रॉफी दी जाती है उसे ब्लैक लेडी कहते हैं।
फिल्मफेयर अवॉर्ड्स की शुरुआत 1954 में हुई थी। इस अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन हर साल होता है। फिल्मफेयर अवॉर्ड में जो ट्रॉफी दी जाती है उसे ब्लैक लेडी कहते हैं।
अब जानिए नसीरुद्दीन ने क्या कहा था
नसीरुद्दीन शाह ने मुंबई में एक फार्महाउस बनवाया है। वहां के दरवाजों पर जो हैंडल लगे हुए हैं, वे सभी उन्हें मिलने वाली ट्रॉफियों से बनाए गए हैं। शाह से इसी संबंध में सवाल किए गए थे। उन्होंने लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा- अब मेरे लिए इन अवॉर्ड्स का कोई मतलब नहीं है। पहले इन अवॉर्ड्स को जीतने के बाद खुशी मिलती थी। धीरे-धीरे करके ऐसे बहुत सारे अवॉर्ड्स हो गए।

ये तस्वीर तब की है, जब नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी ने फिल्म मासूम और अर्थ के लिए बेस्ट एक्टर-एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता था।
कुछ वक्त बाद एहसास हुआ कि ये अवॉर्ड्स लॉबिंग का नतीजा हैं। उन लोगों को अवॉर्ड्स मिलने स्टार्ट हुए जो इसके लायक ही नहीं हैं। इसके बाद ही मेरा इन अवॉर्ड्स से नाता टूटने लगा