राजस्थान में चल रहे घमासान के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने केंद्र सरकार के दबाव में काम करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके लिए संविधान सर्वोपरि है। उन्होंने गुरुवार को गहलोत सरकार से राज्य में कोरोना की रोकथाम करने और विकास कार्यो पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास करने को भी कहा। राज्यपाल मिश्र ने समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध भेजने के लिए राज्य सरकार को हमेशा संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया। उन्होंने बुधवार को 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने के राजस्थान मंत्रिमंडल के प्रस्ताव पर सहमति जताई थी। मिश्र ने इससे पहले इस संबंध में राज्य सरकार के तीन प्रस्तावों को खारिज कर दिया था। उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल से सत्र बुलाने के लिए 21 दिन पूर्व नोटिस देने की अनिवार्यता पूरी करने को कहा था। उन्होंने कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि राज्यपाल के लिए संविधान सर्वोपरि होता है। मुझ पर कोई दबाव नहीं है।
राज्यपाल बनने से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल रहे और केंद्रीय मंत्री रह चुके मिश्र ने राज भवन में कांग्रेस विधायकों के धरना प्रदर्शन पर अफसोस जताते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति के खिलाफ इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है। उन्होंने कांग्रेस विधायकों के उक्त हालिया प्रदर्शन और 1995 में उत्तर प्रदेश में तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ खुद समेत भाजपा विधायकों द्वारा किये गये प्रदर्शन की तुलना को खारिज करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में राज भवन के बाहर प्रदर्शन किया गया था और किसी तरह के शिष्टाचार को नहीं तोड़ा गया था। उस समय भाजपा विधायकों ने गेस्ट हाउस कांड के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसमें सपा नेताओं के इशारे पर कुछ लोगों ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमला किया था। राजस्थान सरकार से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं, इस प्रश्न के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि उसे विकास कार्य तेजी से करने चाहिए और कोरोना को फैलने से रोकने के लिए रणनीति बनानी चाहिए। मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार को आम आदमी का ख्याल रखना चाहिए। साथ ही कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास होने चाहिए।