भारतीय सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में में फ्रंट पर लड़ने वाली ब्रांच के साथ कई सपोर्टिंग ब्रांच भी हैं. जिनके बिना सेना का काम नहीं चल सकता.
इसमें से ही एक मेडिकल ब्रांच है. जिसका काम सेना के जवानों को स्वस्थ रखने और युद्ध के दौरान घायलों का इलाज करना होता है. इसके लिए सेनाएं डॉक्टरों की भर्तियां करती हैं.
अगर एक डॉक्टर के रूप में आपका भी सपना भारतीय सेनाओं में सेवा देने का है तो इसके लिए दो तरीके हैं. पहला यह कि 12वीं के बाद नीट परीक्षा पास करके. दूसरा एमबीबीएस या बीडीएएस करने के बाद. हर साल तीनों सेनाएं डॉक्टरों और 12वीं के बाद नीट पास करने वालों के लिए आवेदन आमंत्रित करती हैं. आइए जानते हैं तीनों सेनाओं में डॉक्टर बनने की प्रक्रिया के बारे में…
12वीं पास करने के बाद
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज यानी एएफएमसी में 12वीं और नीट एग्जाम पास करने वालों को दाखिला मिलता है. वर्तमान में एएफएमसी के एमबीबीएस प्रोग्राम के लिए करीब 150 सीटें हैं. इसमें से 115 सीटें पुरुषों के लिए, 30 महिलाओं के लिए और 5 सीटें विदेशी नागरिकों के लिए रिजर्व हैं. एएफएमसी से एमबीबीएस करने के बाद सेना में डॉक्टर के रूप में सेवा देने का मौका मिलता है. इन कैंडिडेट्स को सेना में स्थायी कमीशन मिलता है. नीट पास करके AFMC में एडमिशन लेने की प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले तो नीट स्कोर के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है. इसके बाद एसएसबी इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट फेस करना पड़ता है.
एमबीबीएस/बीडीएस के बाद
जो युवा एमबीबीएस या बीडीएस कर रहे हैं या कर चुके हैं वे भी तीनों सेनाओं में डॉक्टर के तौर पर भर्ती हो सकते हैं. लेकिन इन्हें सेना में परमानेंट कमीशन की बजाए शॉर्ट सर्विस कमीशन मिलता है. मतलब 10 साल की सर्विस होती है. जो चार साल बढ़ाई जा सकती है. शॉर्ट सर्विस कमीशन पाकर कुल 14 साल सेवा दे सकते हैं. हालांकि इनके पास परमानेंट कमीशन पाने का भी अवसर होता है.
कितनी है आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विस में सैलरी
आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विस में बेसिक सैलरी ₹61000 है. इसमें 15500 रुपये मिलिट्री पे सर्विस और करीब 20500 रुपये अन्य अलाउंस भी जुड़ते हैं. इस तरह कुल सैलरी करीब 97000/- रुपये हो जाती है.