धीरज साहू को छापेमारी में बरामद कैश पर कितना जुर्माना देना पड़ेगा? जानें क्या हैं प्रावधान

झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू और उनके करीबियों के ठिकानों से आयकर छापे में बरामद की गई रकम की गिनती जारी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक 300 करोड़ रुपये की गिनती की जा चुकी है.

अलमारियों में नोटों की गड्डियों की तस्वीरें सोशल मीडिया के तमाम प्लैटफॉर्म पर वायरल हो गई हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या आईटी रेड में बरामद रकम पर कितना जुर्माना लगेगा. क्या आयकर विभाग सारे पैसे जब्त कर लेगा? इसके लिए क्या हैं प्रावधान? आइए जानते हैं-

घर में कैश रखने की क्या है सीमा?
काला धन रोकने के लिए सरकार ने कैश लेनदेन से जुड़े कई नियम बनाये हैं. आयकर कानून घर में कैश रखने पर कोई सीमा लगाने का प्रावधान नहीं करता है. आप घर में जितना चाहें, उतना कैश रख सकते हैं. घर में कैश रखना बिल्कुल अवैध नहीं है, बशर्ते सारा कैश आपकी कानूनी कमाई का हिस्सा होना चाहिए. इस मामले में आयकर विभाग के प्रावधानों के अनुसार, छापेमारी के बाद यदि बेहिसाबी धन रखने वाले लोग इसका स्रोत नहीं बता पाएंगे तो उन पर टैक्स और जुर्माना, दोनों लगेगा.

कैश का स्रोत बताना जरूरी
अगर किसी के घर या परिसर में आयकर विभाग छापा मारता है, तो उस कैश का स्रोत बताना जरूरी होता है. ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई तय है. इसका मतलब साफ है कि कोई भी चाहे जितना भी कैश रखे, वह काला धन नहीं होना चाहिए. उस कैश के स्रोत के बारे में एक सार्वजनिक उत्तर होना चाहिए. जैसे- इतना सारा कैश कहां से आया है, इसका स्रोत क्या है, इसका सही जवाब होना चाहिए.

कितना लग सकता है जुर्माना?
कई लोग अपने घर में बहुत सारा कैश रखते हैं. यह किसी के लिए शौक होता है और किसी के लिए जबरदस्ती होती है. एक व्यापारी के घर में कैश मिलना कोई बड़ी बात नहीं है. वह थोड़े दिनों बाद या अपनी सुविधा के अनुसार बैंक में कैश जमा करता है, लेकिन तब तक बहुत सारा कैश इकट्ठा हो जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी के घर में आईटी छापा में बहुत सारा कैश मिलता है और अधिकारियों को इसके कानूनी स्रोत के बारे में बता नहीं पाते हैं या कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकते हैं, तो क्या होगा? ऐसे में, आयकर विभाग की टीम वह गैर-मान्यता वाला कैश जब्त कर देगी और 137 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है.

जब्त किया हुआ कैश कहां जाता है?
नगद की जब्ती के बाद उसका आकलन किया जाता है. इसके बाद जब्त हुई राशि की बाकायदा एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है. भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बरामद रकम की गिनती करने के लिए बुलाया जाता है. इस दौरान नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती खत्म होने के बाद बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार होती है. इसके बाद जब्त हुई नगद राशि को किसी भी सरकारी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है.

जब्त रुपयों का इस्तेमाल कहां होता है?
जब्त किये गए रुपयों का इस्तेमाल विभाग, बैंक या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता है. विभाग एक अंतिम कुर्की आदेश तैयार करता है और उसे जारी करता है. कुर्की की पुष्टि करने के लिए मामला अदालत के सामने जाता है. इसके बाद मुकदमा समाप्त होने तक पैसा बैंक में पड़ा रहता है. इसके बाद यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो नकद राशि केंद्र की संपत्ति बन जाती है और यदि आरोपी को अदालत द्वारा बरी कर दिया जाता है, तो नकद राशि वापस कर दी जाती है.