गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर के निधन के बाद सत्ता की कुंजी भाजपा को दोबारा मिलने की कहानी में पर्दे के पीछे के नायक द्वय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी रहे हैं। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि नयी सरकार के गठन में अवरोध उभर आये थे। भाजपा के सहयोगी दलों के अड़ियल रवैये से गतिरोध बनता दिखता रहा था। इन सहयोगी दलों की कोशिश थी कि अधिक से अधिक फायदा हासिल कर लिया जाए। पर अंतत: इन दो वरिष्ठ नेताओं ने अपने तजुर्बे और कौशल से मैदान मार ही लिया। पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि साल 2017 में जब भाजपा विधानसभा चुनावों में बहुमत पाने से पिछड़ गई तो ऐसे कठिन समय में गडकरी तारणहार बन कर यहां पहुंचे और इस तटीय राज्य में छोटे दलों को अपने पाले में करने में सफल रहे। उनकी इसी सूझबूझ की वजह से भाजपा की सरकार बनी और परिकर के सिर पर नेतृत्व का सेहरा बंधा।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने पहले ही भांप लिया था कि परिकर के चले जाने से राज्य में संकट उभरेगा ही। इसकी वजह यह थी कि छोटे दलों के साथ हुआ गठबंधन इस बात पर ही टिका था कि परिकर सरकार के खिवैया बनें।
अग्नाशय के कैंसर से जूझ रहे परिकर ने जब रविवार को अंतिम श्वांस ली तो भगवा पार्टी तुरंत ही सक्रिय हो गई। उधर सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक बैठक करने के लिए एकत्र होने लगे थे। भाजपा के दूसरे सहयोगी दल गोवा फारवर्ड पार्टी (जीएफपी) के विजय सरदेसाई अपने पार्टी के सदस्यों के साथ और निर्दलीय विधायकों ने भी बैठक शुरू कर दी।