करीब दो हफ्ते पहले जब इजरायल सबसे बुरे सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहा था, गाजा से रॉकेटों की बौछार हो रही थी, तब कौन सोच सकता था कि वामपंथी, दक्षिणपंथी और मध्यमार्गी जैसी विरोधी विचारधाराओं वाले दल अरब पार्टी के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने के लिए सहमत होंगे, जो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सत्ता से बेदखल करेगी।
हाल में जब लड़ाई तेज हुई तब सभी यह सोच रहे थे कि इससे इजरायल में सबसे लंबे समय तक पद पर रहे प्रधानमंत्री नेतन्याहू को सत्ता पर काबिज रहने के लिए थोड़ी और मोहलत मिल जाएगी, क्योंकि उन्हें सत्ता से दूर करने के लिए बेचैन राजनीतिक दलों ने बातचीत से दूरी बना ली थी। जब लड़ाई जारी रही तब विपक्षी गठबंधन की सरकार बनाने की जिम्मेदारी उठा रहे येश अतीद पार्टी के नेता याइर लापिद (57) और राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन की सरकार बनाने की उम्मीद धूमिल होने लगी।
हालांकि, एक बिल्कुल ही अलग अंदाज में जिस व्यक्ति को सरकार बनाने की विपक्षी कवायद के पटरी से उतरने से सबसे ज्यादा फायदा होता दिख रहा था वही इन ताकतों को एकजुट करने में सबसे अहम कड़ी भी बनकर उभरा। इजरायल के डिवाइडर इन चीफ के तौर पर देखे जाने वाले 71 वर्षीय नेतन्याहू ही एक अलग अंदाज में अपने विरोधियों को एकजुट करने वाले भी साबित हुए, जिनके कारण इजरायल के इतिहास में जिन लोगों के एक साथ आने की कल्पना भी नहीं की गई थी वे राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने के लिए मिल गए।
पहले बेनेट फिर लापिद प्रधानमंत्री होंगे
येश अतीद पार्टी के नेता याइर लापिद ने घोषणा की कि आठ दलों का एक गठबंधन राजनीतिक बातचीत के माध्यम से बनाया गया है। नियमित आवर्तन (रोटेशन) की नीति के तहत यामिना पार्टी के नफ़्ताली बेनेट (49) पहले प्रधानमंत्री होंगे और उनके बाद लापिद देश के प्रधानमंत्री होंगे। लापिद (57) ने राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन और नेसेट के स्पीकर यारिव लेविन को बुधवार मध्यरात की समय सीमा खत्म होने से मात्र आधे घंटे पहले इस फैसले की जानकारी दी।
राम पार्टी भी शामिल
लापिद द्वारा राष्ट्रपति रिवलिन को गठबंधन को एकजुट रखने में कामयाबी मिलने की खबर देने से घंटों पहले दैनिक हारेट्ज के पत्रकार अंशेल प्फेफ्फर ने कहा, आज रात जो हुआ और विश्वास मत अगर होता है तो उसमें जितने भी दिन बचे हैं उससे पहले, यह एक ऐतिहासिक तस्वीर है। अरब- इजरायली पार्टी के नेता और जूइश-नेशनलिस्ट पार्टी के नेता एक साथ सरकार में शामिल होने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने राम पार्टी के प्रमुख मंसूर अब्बास की दक्षिणपंथी यामिना पार्टी के नेता नफ़्ताली बेनेट और मध्यमार्गी येश अतीद पार्टी के याइर लापिद की समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए एक तस्वीर भी अपने ट्वीट के साथ पोस्ट की।
पहली बार गठबंधन की सरकार
हालांकि, इस नए गठबंधन में लेफ्ट विंग की मेरेटज से लेकर बेनेट की दक्षिणपंथी यामिना पार्टी हिस्सा है। साथ ही इसमें इस्लामिस्ट पार्टी यूनाइटेड अरब भी शामिल है। ऐसा पहली बार है, जब अरब इजरायल पार्टी किसी गठबंधन का हिस्सा है।
अगर विपक्ष भी सरकार बनाने में नाकाम होता तो तय था कि इजरायल में 5वीं बार चुनाव कराए जाते। यहां पिछले दो साल से राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी। मार्च में हुए आम चुनाव में नेतन्याहू की पार्टी बहुमत जुटाने में कामयाब नहीं हो पाई थी और सहयोगी पार्टियों का समर्थन भी उन्हें नहीं मिला था। उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 120 में 61 सीट की जरूरत थी। इसके बाद विपक्ष के नेताओं को सरकार बनाने के लिए 28 दिन का समय दिया गया था, लेकिन गाजा में संघर्ष के चलते प्रोसेस में देरी होती रही।