अमिताभ को कैसे मिला सरनेम ‘बच्चन’, मां-बाबूजी की शादी की सालगिरह पर किया याद

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. अपने फैंस के साथ वह अपने किस्से कहानियों को अक्सर शेयर करते हैं. आज बिग बी के लिए बेहद खास दिन है. बिग बी के मां और बाबूजी की आज शादी का सालगिरह है. इस मौके पर उन्होंने ब्लॉग लिखा है. इस ब्लॉग में उन्होंने बताया कि माता-पिता की मुलाकात, शादी और कैसे उनके माता-पिता ने ‘बच्चन’ सरनेम को अपनाया.

अमिताभ बच्चन अपना ब्लॉग लिखते हैं. हाल ही में लिखे अपने ब्लॉग में माता-पिता की शादी को लेकर लिखा है कि इस रिश्ते ने समाज की रुढ़ियों को तोड़ने का काम किया था. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा- ’23 जनवरी की आधी रात बीती और 24 तारीख शुरू हुई. मां और बाबूजी की शादी की सालगिरह…’ ब्लॉग में उन्होंने आगे लिखा-’24 जनवरी, 1942. एक शादी जिसने तमाम बैरियर तोड़ डाले. जाति और नस्ल से परे बच्चन नाम स्वीकार किया और फिर मैं इस दुनिया में आया.’ दोनों की मुलाकात का किस्सा बाबूजी की ऑटोबायोग्राफी में है. तब से अब तक जो मोमेंट मैंने कैप्चर किए हैं या दोहराया है, वे भी जल्दी ही आपके सामने होंगे.’

अमिताभ बच्चन ने एक बार ब्लॉग पर ही अपनी पोस्ट में बताया था कि उनके पिता और मां ने बच्चन सरनेम क्यों अपनाया था. अमिताभ बच्चन ने बताया था कि उनके पिता कास्ट सिस्टम के प्रबल विरोधी थे और इसके चलते उन्होंने बच्चन सरनेम अपना लिया था. यह नाम उन्होंने एक कवि के तौर पर अपने लिया चुना था, लेकिन फिर अमिताभ बच्चन के जन्म के बाद यही परिवार का सरनेम हो गया.अमिताभ बच्चन ने अपने सरनेम की कहानी के बारे में बताते हुए लिखा था, ‘बाबूजी का जन्म कायस्थ परिवार में हुआ था और श्रीवास्तव लिखते थे. लेकिन वह हमेशा जाति और उसकी पहचान के खिलाफ थे. ऐसे में उन्होंने कवि के तौर पर अपना सरनेम बच्चन लिखना शुरू कर दिया था. वह दौर था, जब दिग्गज कवि अपने सरनेम इसी तरह के रख लिया करते थे, लेकिन यह परिवार का सरनेम तब बना जब मेरा जन्म हुआ.