क्या ईरान में सऊदी अरब की नजदीकी बढ़ गयी ? पढ़िए रिपोर्ट

7 साल बाद सऊदी अरब और ईरान के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन तो बहाल हो गए हैं, लेकिन रिश्तों में खटास बाकी है।

ईरान के सरकारी दौरे पर गए सऊदी फॉरेन मिनिस्टर प्रिंस फैसल बिन लादेन ने यहां ईरानी विदेश मंत्री के साथ ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस का रूम इसलिए बदलवा दिया, क्योंकि वहां एक ऐसे जनरल की तस्वीर लगी थी, जिसे सऊदी दुश्मन बताता रहा है।

यह तस्वीर जनरल कासिम सुलेमानी की थी। वो ईरानी सेना के कमांडर थे और 2020 में अमेरिका ने सुलेमानी को ड्रोन से दागी गई मिसाइल के जरिए बगदाद में मार गिराया था। तब डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी राष्ट्रपति थे।

पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस एक अलग रूम में होने वाली थी। बाद में इसे इस कमरे में शिफ्ट किया गया। इसमें दोनों देशों के डिप्लोमैट्स भी मौजूद थे।

शनिवार देर रात ईरान की राजधानी तेहरान में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का शेड्यूल और वेन्यू तय था। तय वक्त पर सऊदी फॉरेन मिनिस्टर प्रिंस फैसल और ईरानी विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाह यहां पहुंच गए।
‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ की रिपोर्ट के मुताबिक- जिस रूम में दोनों देशों के फॉरेन मिनिस्टर्स और मीडिया मौजूद था, वहां कुछ देर कुछ कानाफूसी हुई। इसके बाद सभी लोग एक दूसरे कमरे में चले गए। पहली बार में किसी को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है।
अब इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का रूम अचानक क्यों बदला गया। हालांकि, अब भी ईरान या सऊदी अरब की सरकार या मीडिया ने इस बारे में कुछ भी साफ नहीं किया है।
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ईरान प्रेस कॉन्फ्रेंस का रूम यानी वेन्यू बदलने के लिए इसलिए तैयार हो गया, क्योंकि वो अब सऊदी अरब के साथ कोई नया विवाद शुरू नहीं करना चाहता। दोनों देशों के डिप्लोमैटिक रिलेशन 7 साल बाद पिछले महीने ही फिर शुरू हो सके हैं।
सऊदी फॉरेन मिनिस्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस तरफ इशारा भी किया। कहा- दोनों देशों के रिश्ते आपसी सम्मान और भरोसे की वजह से फिर शुरू हो सके हैं। हमें यह सिलसिला बनाए रखना होगा और इसकी जिम्मेदारी दोनों देशों की है।
पहले इसी कमरे में प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली थी। यहां दीवार पर जो तस्वीर आप देख रहे हैं। वो जनरल कासिम सुलेमानी की है। दूसरे रूम में यह तस्वीर नहीं थी।

ईरान की सेना में एक अल-कुद्स यूनिट या डिवीजन है। वहां की सेना को रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कहा जाता है। अल-कुद्स के बारे में जगजाहिर है कि ये ईरान की सीमा के बाहर दूसरे देशों में सीक्रेट मिलिट्री ऑपरेशन्स चलाती है।
जनरल कासिम सुलेमानी इसी यूनिट के चीफ थे। 2020 में मारे जाने से पहले उन्होंने सऊदी अरब और इराक के अलावा कुछ और देशों में भी सीक्रेट ऑपरेशन्स किए थे।
ईरान में उन्हें नेशनल हीरो माना जाता है। एक वक्त उनकी लोकप्रियता देश में सबसे ज्यादा बताई गई थी। हालांकि, ये कभी साफ नहीं हुआ कि सुलेमानी को किस तरह के पावर्स हासिल थे।
अमेरिका के ‘कार्नेगी रिसर्च फाउंडेशन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- जनरल सुलेमानी जब जिंदा थे तो वो हर उस ताकत की मदद करते थे जो सऊदी अरब की दुश्मन हो। उन्होंने सीरिया और इराक को सऊदी अरब के खिलाफ खड़ा किया। इसके बाद यमन के हूती विद्रोहियों को हर तरह की मिलिट्री सहूलियत दी ताकि वो सऊदी अरब के अहम ठिकानों पर हमले करते रहे और इससे सऊदी अरब की इकोनॉमी ईरान की तुलना में काफी कमजोर हो जाए।
कासिम सुलेमानी ईरान में प्रेसिडेंट से भी ज्यादा पॉपुलर थे। वो एक इंटेलिजेंस यूनिट के हेड थे और ग्राउंड मिशन भी अंजाम देती थी।
उनके समर्थक शिया संगठन के अफसर उन्हें विमान के पास ही लेने पहुंच गए। एक कार में जनरल कासिम और दूसरी में शिया सेना के प्रमुख मुहंदिस थे। जैसे ही दोनों की कार एयरपोर्ट से बाहर निकली, वैसे ही रात के अंधेरे में अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन ने उस पर मिसाइल दाग दीं। वैसे, अब इसी ड्रोन का अपडेटेड वर्जन भारत अमेरिका से खरीदने जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर यह डील फाइनल हो जाएगी।
कहा जाता है कि तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर CIA ने इस मिशन को अंजाम दिया। 2019 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान को न्यूक्लियर ट्रीटी तोड़ने पर तबाही की धमकी दी थी, तो जनरल कासिम ने कहा था- जंग ट्रम्प ने शुरू की है, इसे खत्म हम करेंगे।
सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने भी बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर 7-8 जनवरी 2020 को हमले किए थे। ईरान के सुप्रीम लीडर अली हसन खामेनेई ने भी सुलेमानी के मारे जाने के बाद से पश्चिम एशिया से सभी अमेरिकी सैनिकों को खदेड़ने की धमकी दी थी। 7 जनवरी 2020 को ईरान ने इराक में स्थित दो अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने दावा किया था कि इस हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए थे।