यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद सपा को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त कामयाबी मिली. इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी से बाहर खुद को मजबूत कर राष्ट्रीय फलक पर छा जाने के सपने देखने लगे. लेकिन अब राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, सपा ने कांग्रेस आलाकमान से हरियाणा विधानसभा चुनाव में 3 से 5 सीटों की मांग की है. सपा इंडिया अलायंस के बैनर तले कांग्रेस के साथ मिलकर हरियाणा में चुनाव लड़ना चाहती है. अपने वोट बैंक यादव और मुस्लिम की बदौलत हरियाणा में जीत का ख्वाब देख रही है. दक्षिण हरियाणा की मुस्लिम और यादव बहुल सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रही है. लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने सपा की मांग खारिज कर दी है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने साफ कहा कि न तो आम आदमी पार्टी और न ही इंडिया गठबंधन के किसी अन्य दल से राज्य में समझौता होगा. कांग्रेस अपने बलबूते यहां सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हुड्डा का कहना है कि सभी 90 सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर कम हुआ था, जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ा था. यही नहीं, कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं भी, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था. बकौल हुड्डा राज्य में कांग्रेस के पक्ष में लहर चल रही है. इसलिए उसे अपने बूते जीतकर सरकार बनानी है. हालांकि, इंडिया अलायंस में शीर्ष स्तर पर कोई बातचीत हो रही है या नहीं, इससे हुड्डा के करीबी नेता इनकार कर रहे हैं. ये इतना आसान भी नहीं है. यूपी में भी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और अगर हरियाणा को लेकर दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ी तो उसका असर यूपी में भी पड़ेगा, जहां अब तक सीट शेयरिंग नहीं हुई है. उधर, अखिलेश यादव ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे के टिकट का ऐलान कर दिया है. यूपी उपचुनाव की 10 सीटों में से कांग्रेस 3 पर गंभीरता से तैयारी कर रही है लेकिन अगर हरियाणा को लेकर तल्खी बढ़ी तो यूपी में सपा-कांग्रेस को झटका दे सकती है. इसलिए कांग्रेस नेतृत्व हुड्डा की तरह सपा की मांग को खारिज नहीं कर पा रहा है बल्कि चुप्पी साधे है.
इधर, हरियाणा कांग्रेस के नेता और स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य राजधानी दिल्ली में पिछले कई दिनों से सभी 90 सीटों पर उम्मीदवारों के दावों की छानबीन कर रहे हैं. योग्य उम्मीदवार के नाम का पैनल हर सीट पर तैयार कर रहे हैं. ये प्रक्रिया पूरे अगस्त चलने वाली है और सितंबर के पहले दिन केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो सकती है, जिसके बाद पहली सूची पर मुहर लग जाएगी.