हरदोई: किसानों को श्री अन्न की फसलों की उन्नतशील तकनीकी से खेती करने की विस्तृत जानकारी दी गयी

हरदोई:उ0प्र0 मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत आज जनपद स्तरीय कृशक प्रषिक्षण का आयोजन कृषक सभागार, सम्भागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन शोध केन्द्र, हरदोई में आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में जनपद में ज्वार, बाजरा, कोदो, सांवा एवं रागी की खेती करने वाले कृषकों को श्री अन्न की खेती, विपणन, प्रसंस्करण एवं श्री अन्न के स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में डा0 ए0के0 तिवारी, कृशि वैज्ञानिक, के0वी0के0, हरदोई प्रथम ने श्री अन्न की फसलों की उन्नतशील तकनीकी से खेती करने की विस्तृत जानकारी दी तथा किसानों को यह भी बताया कि मोटे अनाज में प्रचुर मात्रा में खनिज लवण, विटामिन वं फाइबर से भरपूर होते है। इनके सेवन से डाइबिटीज, हृदय रोग एवं पाचन सम्बन्धी रोगों से बचाव होता है। कृषि वैज्ञानिक, के0वी0के0, हरदोई प्रथम द्वारा कषकों को श्री अन्न की फसलों में लगने वाले रोग एवं कीट तथा उनकी प्राकृतिक/जैविक विधि से नियंत्रण के बारे में जानकारी दी गयी। डा0 अंजली साहू, कृषि वैज्ञानिक, के0वी0के0, सण्डीला, हरदोई द्वितीय ने कृषकों को बताया कि श्री अन्न अधिक लाभप्रद, पौष्टिक और पर्यावरण अनुकुल होने के कारण लाभकारी है। उप पशु चिकित्साधिकारी, ने कृषकों को बताया कि खेती किसानी के साथ-साथ दुधारू पशु पालन भी जरूर करे। किसान भाई उनकी खेती किसानी की लागत कम करने और अधिक उत्पादन के लिए कषि विभाग, गन्ना विभाग, उधान विभाग, पशुपालन विभाग, एवं मत्स्य विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ उठाये। पुत्तन लाल, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरिक्षक, हरदोई द्वारा बताया गया कि कृषक गन्ना की खेती के साथ-साथ श्री अन्न की भी खेती सहफसली पद्धति के आधार पर कर सकते हैं। विनीत कुमार, उप सम्भागीय कृशि प्रसार अधिकारी, सदर, हरदोई ने बताया कि किसान भाई श्री अन्न मिलेट्स फसलों ज्वार, बाजरा, कोदो, रागी, सावां आदि को जरूर उगाये। श्री अन्न मिलेट्स की खेती मृदा एवं मानव के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है। इसकी खेती में सिंचाई एवं उवर्रक की आवष्यकता भी नहीं पड़ती है। गौ आधारित खेती के लिए श्री अन्न मिलेट्स की फसलों की खेती बहुत ही उपयुक्त है। डा0 नन्द किशोर, उप कृषि निदेशक, ने श्री अन्न मिलेट्स की खेती के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी। उन्होने बताया गया कि किसान भाई अपने खेत के कुछ हिस्से में रागी, सांवा, कोदो, ज्वार, बाजरा, आदि फसलों का समावेश जरूर करे। मिलेट्स फसलों में कम पानी, कम खाद उर्वरक, एवं कम कीट एवं रोगों का प्रकोप कम होता है, जिससे खेती की लागत में कमी आती है। उक्त कार्यक्रम में कृषि विभाग के समस्त वरिष्ठ प्राविधिक सहायक, ग्रुप-ए एवं लगभग 150 कृषक उपस्थित रहे।