अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद से लोगों का जीना दूभर हो रखा है। वहां की जनता गहरे मानवीय संकट में है और लोग भूख से तड़प रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के आंकड़ों का हवाला देते हुए अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के विशेष महानिरीक्षक (SIGAR) ने बताया कि अफगानिस्तान के 50 प्रतिशत से अधिक लोग ‘भूख की सुनामी’ का सामना कर रहे हैं।
SIGAR रिपोर्ट में कहा गया है कि रिकार्ड सूखा, बढ़ती खाद्य कीमतों, आंतरिक विस्थापन के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर होना और सार्वजनिक सेवाओं का पतन एक ‘मानवीय आपातकाल’ है। बता दें कि SIGAR ने अफगानिस्तान में 145.87 बिलियन अमरीकी डालर के पुनर्निर्माण प्रयासों की जांच करते हुए अमेरिकी कांग्रेस को अपनी त्रैमासिक रिपोर्ट सौंपी है
डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूएफपी का अनुमान है कि पांच साल से कम उम्र के 32 लाख अफगान बच्चे इस सर्दी में गंभीर कुपोषण से पीड़ित होंगे, जिसमें दस लाख लोगों के मरने का खतरा है। सिगार ने सितंबर में जारी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बिगड़ते राजनीतिक और आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप अफगानिस्तान की 97 प्रतिशत आबादी के 2022 के मध्य तक गरीबी रेखा से नीचे खिसकने का खतरा था।
इस बीच, तालिबान ने 3 दिसंबर को घोषणा की थी कि वे अफगानिस्तान में जबरन विवाह पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान माता-पिता द्वारा अपने परिवार के बाकी लोगों का पेट भरने के लिए अपनी बेटियों को बेचने की कई रिपोर्टों के बीच यह घोषणा की गई है क्योंकि इस सर्दी में देश में भुखमरी की स्थिति है।