गुजरात का गोधरा एक बदनाम पहचान का शिकार है। 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात आ रही साबरमती एक्सप्रेस के S-6 कोच में गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गई। इसमें 59 तीर्थ यात्री मारे गए। मरने वालों में 9 पुरुष, 25 बच्चे और 25 महिलाएं शामिल थीं।
कुछ ही घंटों बाद गुजरात के कई हिस्सों से हिंसा भड़कने की खबरें आने लगीं। गुजरात के कई हिस्सों में करीब 5 दिन तक हिंसा चलती रही। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 1,044 लोगों की जान गई।
दंगा पीड़ितों में बिलकिस बानो भी थी। उसके साथ जंगल में दंगाइयों ने गैंगरेप किया, उसकी 3 साल की बच्ची समेत 15 लोगों को मार डाला। इस केस में दोषी 11 लोगों को गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत बीते 15 अगस्त को रिहा कर दिया।
सरकार के इस फैसले की आलोचना हुई, तो BJP नेता सीके राउलजी ने कहा- बिलकिस रेप केस के कुछ दोषी ब्राह्मण हैं, जिनके अच्छे संस्कार हैं। राउलजी गोधरा से विधायक हैं। पार्टी ने इस बार भी उन्हें ही टिकट दिया है।
वे साल 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे। राउलजी गोधरा सीट से 6 बार चुनाव जीत चुके हैं। सवाल यही है कि क्या गोधरा सीट पर बिलकिस केस का कुछ असर है, क्या आज भी 2002 दंगों की याद बाकी है।
इन सवालों के जवाब तलाशता हुआ, जब हैं गोधरा पहुंचता हूं तो सबसे पहले मेरा मन उस जले हुए कोच को तलाशता है, जहां से सब शुरू हुआ। ये तलाश मुझे गोधरा रेलवे यार्ड ले गई। 20 साल बाद भी रेलवे यार्ड में ये डिब्बा जस का तस खड़ा है। किसी को यहां जाने की परमिशन नहीं है।
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी RPF के जवान इसकी देखरेख में 24 घंटे तैनात रहते हैं। बिना इजाजत के इसके पास जाने नहीं दिया जाता। परमिशन भी वैलिड रीजन बताने के बाद ही मिलती है। डिब्बे के कुछ फोटो-वीडियो लेने के बाद मैं लोगों की नब्ज टटोलने मेन मार्केट की तरफ चल दिया।
गोधरा में 27 फरवरी 2002 की सुबह भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगा दी थी। स्पेशल कोर्ट ने 2011 में दिए फैसले में इसे साजिशन किया गया हमला बताया था।
पंचमहल जिले में आने वाले गोधरा में 2.83 लाख वोटर हैं। इनमें करीब 65 हजार मुस्लिम हैं। कई साल से मुस्लिम कांग्रेस को ही वोट डालते आए हैं। यही वजह है कि कांग्रेस यहां से लगातार जीत दर्ज करती रही, लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी कैंडिडेट उतार दिया है। इससे मुस्लिम वोट बंटने की संभावना जताई जा रही हैं।
मार्केट के इलाके में लोगों के साथ कुछ वक्त बिताने के बाद इस बात का अंदाजा लग जाता है कि भले ही बात नहीं हो रही, लेकिन 2002 का घाव भरा नहीं है। खासतौर से माइनॉरिटी के लोग इसे भूले नहीं हैं।
हालांकि, अब यहां 2002 से ज्यादा बड़ा मुद्दा बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई का है। कैमरे पर इस बारे में बात करने से हर कोई बचता नजर आता है। मैंने पूछा कि कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा, तो जवाब मिला-फालतू की झंझट में नहीं फंसना।
इसी बीच मेरी मुलाकात चाय की दुकान पर दोस्तों के साथ बैठे आरिफ से हुई। गोधरा में ही पले-बढ़े आरिफ 2002 में 15 साल के थे। कहते हैं, सर यहां गोधरा कांड की कोई बात नहीं करता। वो बहुत पुराना हो गया। अब हम लोगों में गुस्सा बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई को लेकर है, लेकिन चुनाव में इसका कोई ज्यादा असर नहीं होगा।
मैंने पूछा ऐसा क्यों? तो बोले, ‘मुस्लिम कम्युनिटी तो पहले भी BJP को वोट नहीं देती थी और इस डिसीजन के बाद भी नहीं देगी तो उससे कोई नुकसान नहीं हुआ। हां, इस मुद्दे से उसके हिंदू वोट जरूर एक हो सकते हैं, इसलिए हम लोग इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते।’
आरिफ आगे कहते हैं गोधरा में BJP और कांग्रेस के बीच ही कांटे की टक्कर है। हालांकि, आरिफ के साथ बैठे महबूब की राय अलग है। वो कहते हैं गोधरा में BJP जीतेगी, क्योंकि उन्होंने काम अच्छा किया है। बिलकिस बानो केस का कोई असर नहीं होगा।
बुजुर्ग मोहम्मद ने तो बिलकिस बानो केस पर बात करने से ही मना कर दिया। बोले, 5 तारीख को वोट पडेंगे, लेकिन लोगों में वोट डालने का कोई उत्साह नहींं है। महंगाई, बेरोजगारी है, उस पर कोई बात ही नहीं कर रहा।
तेल का बिजनेस करने वाले और कभी पेशे से पत्रकार रहे इस्माइल जाबा हमसे कैमरे पर बिलकिस बानो केस पर बातचीत करने को राजी हुए। बोले, बिलकिस बानो केस में जिन दोषियों को रिहा किया गया है, उनका असर मुस्लिम समुदाय में नजर नहीं आ रहा। लोग इस मामले को समझ ही नहीं पा रहे कि हुआ क्या है। गोधरा कांड भी अब बहुत पुराना हो चुका है।
इस बार यहां ओवैसी ने कैंडिडेट उतारा है, इससे माइनॉरिटी के वोट बंट सकते हैं, क्योंकि कुछ लोग तो उनके साथ भी जाएंगे। इसका सीधा फायदा BJP को ही मिलेगा। माइनॉरिटी के एकमुश्त वोट मिलने से ही यहां कांग्रेस जीतती थी, लेकिन वो हमारे समाज के लोगों को टिकट ही नहीं देते।
इस कारण भी मुस्लिम समुदाय में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा है। फिर भी पार्टी मनाने की कोशिश कर रही है, हो सकता है कि सब वोट एक साथ कांग्रेस को ही मिलें।
गोधरा शहर में घूमने के बाद हम BJP कैंडिडेट सीके राउलजी से मिलने उनके घर पहुंचे। वे कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। राउलजी पिछली बार सिर्फ 258 वोटों से जीते थे। उनका वोट शेयर 42% और कांग्रेस कैंडिडेट का वोट शेयर 41% था।
राउलजी कहते हैं, 2017 में हमारे लोग ही इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर खड़े हो गए थे। वो हमारे 18 हजार से ज्यादा वोट ले गए। उनके परिवार, रिश्तेदारों ने उन्हें वोट दिया। इस बार ऐसा कुछ नहीं है।
मुस्लिम समाज के 65 हजार वोट होने पर कहते हैं, मुस्लिम समाज में ही 5 लोग चुनाव लड़ रहे हैं। ओवैसी की पार्टी भी है। ऐसे में उनक वोट आपस में बंट जाएंगे। आम आदमी पार्टी ने जिसे टिकट दिया है, उसका तो कोई वजूद ही नहीं है। उसे पंचायत इलेक्शन में भी दो सौ से ज्यादा वोट नहीं मिले थे।बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर दिए बयान पर राउलजी से सवाल किया तो बोले कि इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा। कोर्ट फैसला दे चुका है। कहते हैं इसका कोई असर भी नहीं होगा क्योंकि 2.82 लाख वोटर में से मुस्लिम तो सिर्फ 65 हजार हैं, बाकि के तो सब हिंदू हैं, जो BJP को ही वोट करेंगे।
हालांकि, जिला कांग्रेस प्रेजिडेंट अजीत सिंह भाटी को लगता है कि बिलकिस बानो केस के असर से ही मुस्लिमों के पूरे वोट कांग्रेस को मिलेंगे। साथ ही एससी-एसटी, आदिवासी वोट भी मिलेंगे क्योंकि लोग महंगाई और 27 साल की एंटी इनकम्बेंसी से परेशान हैं।
वे कहते हैं यह सीट शुरू से कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां से कांग्रेस फिर जीतेगी। मुस्लिम कम्युनिटी से किसी को टिकट नहीं देने पर कहते हैं, ऐसा किया तो हार ही होगी।
गोधरा के म्युनसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसमें से उसके 7 कैंडिडेट जीत गए थे। AIMIM लीडर ताहिर कहते हैं हम कांग्रेस के वोट नहीं काट रहे बल्कि कांग्रेस हमारे वोट काट सकती है, क्योंकि हमें तो मुस्लिम कम्युनिटी सपोर्ट कर ही रही है।
ताहिर के मुताबिक, कुछ वोट हिंदुओं के मिलेंगे और हमारा कैंडिडेट ही जीतेगा, क्योंकि कांग्रेस तो हमें वोटबैंक की तरह इस्तेमाल कर रही है। 2002 दंगे के मामले में हमारे 30 लोग अब भी जेल में हैं। 11 पर फांसी की तलवार लटक रही है।बिलकिस बानो केस गोधरा के चुनावी समीकरण पर असर डाल सकता है। 28 फरवरी 2002 की सुबह दाहोद के रंधीकपुर गांव के लोग दंगाइयों के डर से खेतों-जंगलों के रास्ते भाग रहे थे। इनमें 5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो, 9 महीने की प्रेग्नेंट शमीम, 7 साल का सद्दाम और उसकी मां अमीना खेतों-जंगलों में रुकते-भागते रहे। 3 मार्च 2002 को भीड़ ने उन्हें पत्थलपाणी के जंगल में घेर लिया। बिलकिस समेत 6 औरतों से गैंगरेप हुआ। 15 लोग मार दिए गए। इस मामले में बीते 15 अगस्त को 11 दोषी रिहा हो गए हैं।