तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए सरकार ने संसद में दिया भरोसा

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दुनिया के कई मुल्‍कों में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत में भी इसकी आशंका बनी हुई है। हालांकि सरकार ने आम ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत दिलाने के सभी उपाय करने का भरोसा दिलाया है। इस मसले पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सोमवार को संसद में भरोसा दिया है कि यूक्रेन संकट के चलते तेल की कीमतों में बढोतरी को रोकने के लिए सरकार उचित कदम उठाएगी। यह बयान दर्शाता है कि यदि जरूरत पड़ी तो सरकार राष्ट्रीय स्‍टाक से तेल जारी कर सकती है।
मालूम हो कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है जो अपनी जरूरतों का लगभग 85 फीसद आयल आयात करता है। रामेश्वर तेली ने एक लिखित जवाब में कहा कि भारत सरकार बाजार की अस्थिरता को कम करने और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए सभी उचित कदम उठाने के लिए तैयार है। पिछले महीने सरकार ने कहा था कि वह अतिरिक्त कच्चे तेल को जारी करने के लिए तैयार है।
यानी संकेत साफ हैं कि सरकार तेल की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए अपने राष्ट्रीय स्‍टाक से तेल जारी कर सकती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार वैश्विक ऊर्जा बाजारों के साथ संभावित ऊर्जा आपूर्ति व्यवधानों की बारीकी से निगरानी कर रही है। भले ही भारत रूस से कम मात्रा में तेल आयात करता है लेकिन पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि आने वाले महीनों में सरकार ऐसे हर कदम उठाने को तैयार है, जो ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से बचाए रख सकते हैं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चा जीएसटी काउंसिल में हुई थी, लेकिन वहां इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिला।
वर्तमान में देश को अपनी पेट्रोल-डीजल जरूरतों का करीब 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करना पड़ता है। ऐसे में कच्चे तेल के दाम में जरा भी उछाल का सबसे अधिक असर पूरे एशिया में भारत पर ही दिखता है। कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा का कहना था कि सरकार और विपक्षी दलों में इस बात पर सहमति बनी थी कि कालांतर में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में ले आया जाएगा।

उनका सवाल था कि सरकार इस दिशा में क्या प्रयास कर रही है। इसके जवाब में पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि बहुत से राज्य पेट्रोलियम पदार्थो और मदिरा से सर्वाधिक राजस्व हासिल करते हैं। ऐसे में वे राज्य इन दोनों प्रकार के उत्पादों को जीएसटी दायरे में लाने के प्रति उदासीन रुख अपना रहे हैं।
पेट्रोलियम मंत्री ने राज्यसभा को यह भी बताया कि अभी तक नौ राज्यों ने पेट्रोल व डीजल से मूल्यवर्धित कर (वैट) नहीं घटाया है। उनके अनुसार इनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व केरल जैसे राज्य शामिल हैं। पुरी का कहना था कि सदन को इस तथ्य पर खुश होना चाहिए कि बीते वित्त वर्ष (अप्रैल, 2020-मार्च, 2021) के दौरान दुनियाभर के कई हिस्सों में पेट्रोल-डीजल के दाम में 58 प्रतिशत तक का उछाल आया। लेकिन इसी अवधि के दौरान भारत में पेट्रोल-डीजल का दाम सिर्फ पांच प्रतिशत बढ़ा।