गाजीपुर: मनुआपुर (चौकिया मोड़ )गांव मे आज सदगुरू कबीर साहब के 626 वें प्राकट्य दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया प्राकट्य दिवस के अवसर पर कबीर पंथियों ने सदगुरू कबीर साहब के बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लिया। सबसे पहले सद्गुरू कबीर साहब के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर आरती की गई। इसके बाद प्रवचन हुए। कबीरपंथी महात्मा अमन दास द्वारा बताया गया कि सद्गुरू कबीर साहब काशी में, जेष्ठ पूर्णिमा 1398 ई को लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए।जो सर्वजीव के अमरलोक देश के परमात्मा है कबीर साहब के प्रकट होने के पहले तेज पुंज प्रकाश हुआ। वह प्रकाश पुंज कमल के फूल पर रूक गया।
महापुरुषों के अवतरण दिवस पर सत्संगों, उत्सवों का आयोजन भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम सबों को विदित है कि आज से छः सौ वर्ष पूर्व इस धराधाम पर एक ऐसे दिव्य पुरुष ‘कबीर साहब’ का अवतरण हुआ था, जिन्हे उस काल के समस्त लोकमानस ने ‘सद्गुरु’ रूप में स्वीकार किया था।गाजीपुर मनुआपुर (चौकिया मोड़ )गांव मे आज सदगुरू कबीर साहब के 626 वें प्राकट्य दिवस को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया प्राकट्य दिवस के अवसर पर कबीर पंथियों ने सदगुरू कबीर साहब के बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लिया। सबसे पहले सद्गुरू कबीर साहब के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर आरती की गई। इसके बाद प्रवचन हुए। कबीरपंथी महात्मा अमन दास द्वारा बताया गया कि सद्गुरू कबीर साहब काशी में, जेष्ठ पूर्णिमा 1398 ई को लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए।जो सर्वजीव के अमरलोक देश के परमात्मा है कबीर साहब के प्रकट होने के पहले तेज पुंज प्रकाश हुआ। वह प्रकाश पुंज कमल के फूल पर रूक गया।
महापुरुषों के अवतरण दिवस पर सत्संगों, उत्सवों का आयोजन भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम सबों को विदित है कि आज से छः सौ वर्ष पूर्व इस धराधाम पर एक ऐसे दिव्य पुरुष ‘कबीर साहब’ का अवतरण हुआ था, जिन्हे उस काल के समस्त लोकमानस ने ‘सद्गुरु’ रूप में स्वीकार किया था।