गाजीपुर :- विरनो । जनपद के बिरनो थाना क्षेत्र आराजी ओड़ासन गांव में खड़ी फसल में पशुओं द्वारा नुकसान पहुंचाने को लेकर दो पक्षों में कहासुनी हुई, और देखते ही देखते मारपीट होने लगी। जिसमें प्राप्त जानकारी के अनुसार सहादुर यादव उम्र 72 वर्ष का खेत शोभा गौड़ के घर के पास है। जिसमें सहादुर यादव का कहना है कि आवारा पशुओं को लेकर हमेशा तनाव बना रहता है अपनी फसल को आवारा पशुओं से बचाने के लिए रात दिन पहरेदारी करनी पड़ती है । जिसमें चना, मटर व दलहनी फसलों से लेकर गेहूं-धान किसी भी फसल के सीजन में आवारा पशु बराबर नुकसान पहुंचाते हैं। कई बार हमने शोभा गोड़ से और उनके परिवार के लोगों से निवेदन किया कि फसलों को नुकसान न पहुंचाये लेकिन शोभा गोड़ और उनके परिवार के लोगों को कोई फर्क नहीं पडा। हर बार की भांति कल दिनांक 1 मार्च को करीब शाम 5:00 बजे के लगभग हम अपनी खेत की तरफ गए तो हर बार की भांति इस बार भी पशु हमारे खेत में मिले। जिसको लेकर हमने उनसे कहा कि ऐसा क्यों करते हैं, तो वह और उनके परिवार के लोग गाली देने लगे और कहे रोज तुम इसी तरह आकर बकवास करते हो तुम्हारी इस रोज-रोज की बकबक को आज खत्म ही कर देते हैं। और मुझ अकेले पर जानलेवा हमला कर दिया। जिसमें शोभा गोड़, संदीप गोड, गोलू गोड़ सहित परिवार के अन्य करीब एक दर्जन की संख्या में लोग मुझे मारने पीटने लगे और गाली गुप्ता देने लगे। मुझ अकेले को मारते पीटते हुए देख लोगों ने शोर मचाया और मेरे परिवार के लोग आए और बीच बचाव किए घटना की सूचना मिलने पर पीआरबी 112 नंबर की सहायता पुलिस भी मौके पर गई। और दोनों लोगों को थाने बुलाई जिसमें जब तक मैं इलाज करा कर थाने पहुंचा वह लोग पहले से ही थाने पहुंच चुके थे। जिनका राजनीतिक क्षेत्र में काफी अच्छी पकड़ है। जिसकी वजह से मुझे मारने पीटने के बावजूद भी मेरे ऊपर ही मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया और जब मैं आवेदन दिया, तो थाना अध्यक्ष महोदय और अन्य पुलिस कर्मियों नें मुझे वहां से बाहर जाने को कहा जब मैं अपनी लिखित सूचना प्रार्थना पत्र देने का प्रयास किया तो मेरा आवेदन हाथ से छिन के मुझे धक्का मार कर बाहर भगाने लगे और न हमारा मेडिकल हुआ ना ही अभी तक हमारी प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज हुई। जबकि सहादुर यादव का कहना हैं कि पुलिस उल्टा हमारे ऊपर ही मुकदमा पंजीकृत कर दी, सोचने की बात तो यह है कि एक तरफ सरकार तमाम अभियान चला रही है और हर जगह सीनियर सिटीजन के सम्मान की बात करती है। इस तरह के सौतेले व्यवहार और 72 वर्षीय बुजुर्ग सहादुर यादव का प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज न करना बिरनों थाने के सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है। की आखिर किस तरह से ऐसे पुलिस बल से न्याय की उम्मीद की जाए जहाँ एकपक्षीय कार्यवाही की जा रही हो कानून भी यह कहता है कि पीड़ित की बात जरूर सुनी जाए और मिले तहरीर के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कर लिया जाए दोष या निर्दोष साबित करना न्यायालय का काम है।