गौतमबुद्ध नगर: नियुक्ति घोटाला आरडब्ल्यूए के महासचिव राजेंद्र नागर ने सीएम को फिर लिखी चिट्ठी, खोली जिम्मेदार अफसरों की पोल ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में हुए फर्जी नियुक्ति मामले में सेक्टर गामा-1 आरडब्ल्यूए के महासचिव राजेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को स्पीड पोस्ट से एक पत्र भेजा है। पत्र में राजेंद्र सिंह ने कहा है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी जांच में घालमेल करके अपनों को बचाना चाहते हैं। अधिकारी अपने बेटे, नाती, भतीजे और रिश्तेदारों को बचाने के लिए एक एजेंसी के जरिए नियुक्ति करने का बहाना बना रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जांच समिति केवल एजेंसी के जरिए नियुक्त किए गए 35 लोगों की ही जांच कर रही है। जबकि दूसरी एजेंसी राधा कष्णा सर्विस प्रोवाइडर के जरिए नियुक्ति किए गए कर्मचारियों की जांच नहीं कर रही है। इस एजेंसी के जरिए ही अधिकतर अफसरों के बेटा, बहु, भतीजे, नाती, रिश्तेदारों को फर्जी तरीके से नियुक्त किया गया है।
राजेंद्र सिंह ने सीएम को भेजे गए पत्र में कहा है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में कैडर स्टक्चर के हिसाब से अनुमोदित पद हैं। इसी के अनुसार विभिन्न एजेंसी के जरिए भर्तियां की जाती रही हैं लेकिन रोजगार सेवायोजन पोर्टल से कुछ समय पहले भर्तियां शुरू की गई हैं। जबकि अब से पहले बगैर पोर्टल के ही अथॉरिटी में तैनात अधिकारी और कर्मचारियों ने अपने बेटा, बहु, नाती, रिश्तेदारों को भर्ती करा लिया। अथॉरिटी में कर्मचारियों की पूर्ति के लिए राधा कष्णा सर्विस प्रावाइडर, आर्या इंफोटेक और माधव सिक्युरिटी के साथ एग्रीमेंट करके नियुक्तियां की गई हैं। जिसमें राधा कष्णा सर्विस प्रोवाइडर से लगभग 200 कर्मचारियों की भर्ती की गई। इसमें ही अधिकारियों के सगे-संबंधी भर्ती किए गए हैं। इस भर्ती में एडमिन अफसर, रिसर्च साइंटिस्ट, टेक्निकल डाटा एसोसिएटस, सीनियर टेक्निकल डाडा एसोसिएटस, ऑफिस सुपरवाईजर, मल्टी परपज हैल्थ वर्कर, मल्टी टास्किंग काउसलर आदि पदों पर भर्ती की गई हैं। जो अथॉरिटी के नियम अनुसार गलत हैं।
राजेंद्र सिंह नागर ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि एग्रीमेंट की शर्तों का उललंघन किया जा रहा है। यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। इन सभी फर्जी तरीके से हुई नियुक्तियों को रद्द करते हुए आयोग के जरिए योग्य उम्मीदवारों की भर्ती की जाए। जिससे सरकार की साख और अथॉरिटी के संचालन के लिए योग्य अधिकारी व कर्मचारी मिल सकें। जिस तरह से अभी भर्ती की जा रही हैं, इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे कर्मचारियों को मैनेजर के पदों पर नियुक्त कर लिया है, जो 15 साल से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में अधिकारियों के लिए लाइजनिंग कर रहे थे। लाइजनिंग करते-करते अब अथॉरिटी में ही मैनेजर बन बैठे हैं। उन्होंने किसी इंटरव्यू भाग नहीं लिया है और ना ही टेस्ट दिया है। अब अथॉरिटी में लाइजनिंग का काम लगातार जारी है। इस तरह के अधिकारी और कर्मचारी अथॉरिटी में तैनात किए जाएगें तो एक दिन अथॉरिटी का दिवाला निकल जाएगा। पहले से ही अथॉरिटी का दिवाला बिल्डरों ने निकाला हुआ है।