यथार्थ हॉस्पिटल में कार्यरत 5 डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। यह एफआईआर कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज की मौत को लेकर दर्ज करवाई गई है। परिजनों की शिकायत के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच की। जांच में अस्पताल के 5 डॉक्टरों को दोषी पाया
गौतमबुद्ध नगर के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी टीकम सिंह की ओर से नोएडा के थाना फेज-टू में लिखित शिकायत दी गई। जिसमें बताया गया कि गाजियाबाद में विजय नगर के रहने वाले प्रदीप कुमार शर्मा पुत्र राजाराम शर्मा ने कोरोना महामारी के दौरान अपने बेटे दीपांशु शर्मा को उपचार के लिए नोएडा के सेक्टर-110 में स्थित यथार्थ अस्पताल में भर्ती करवाया था। उपचार के दौरान दीपांशु शर्मा की मौत हो गई। प्रदीप कुमार शर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर गठित पेंडिंग पब्लिक ग्रीवेंस कमेटी को एक शिकायत दी। जिसमें उन्होंने बताया कि यथार्थ अस्पताल मैनेजमेंट और डॉक्टरों ने दीपांशु के इलाज में घोर लापरवाही बरती है। दीपांशु को सही वक्त पर रेमडेसीवीर इंजेक्शन नहीं लगाया गया था। जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है।
उप सीमओ ने बताया कि पेंडेमिक पब्लिक ग्रीवेंस कमेटी ने प्रदीप कुमार शर्मा की शिकायत पर संज्ञान लिया जांच का आदेश दिया। जिस पर यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और उसके डॉक्टरों के खिलाफ 2 सदस्य समिति ने जांच शुरू की। जांच में अस्पताल मैनेजमेंट और डॉक्टर को दोषी पाया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट ग्रीवेंस कमेटी को सौंपी। कमेटी ने 27 जनवरी 2022 को यह रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजी। 5 नवंबर 2022 को कमेटी की ओर से एक पत्र भेजा गया। जिसमें अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। इसके आधार पर यह एफआईआर दर्ज करवाई गई है। डिप्टी सीएमओ की कमेटी ने 18 अक्टूबर 2022 को यथार्थ अस्पताल में उसके चिकित्सकों के खिलाफ अपनी रिपोर्ट पेंडेमिक ग्रीवेंस कमेटी को सौंपी थी।
अस्पताल और 5 डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कार्यवाही की मांग की गई है लेकिन एफआईआर में आरोपियों की सूची में केवल 5 डॉक्टरों के नाम हैं। अस्पताल प्रबंधन को आरोपी नहीं बनाया गया है। इस पर दीपांशु शर्मा के पिता प्रदीप कुमार शर्मा ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि डॉक्टरों के साथ-साथ अस्पताल मैनेजमेंट भी बराबर का जिम्मेदार है। उन्होंने अस्पताल मैनेजमेंट के तमाम लोगों से शिकायत की थी। उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है