गौतमबुद्ध नगर: शहर के बिल्डरों पर अरबों की रकम बकाया

गौतमबुद्ध नगर: गौतमबुद्ध नगर: शहर के बिल्डरों पर अरबों की रकम बकाया नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों से चल रहा विवाद आजकल सुर्खियों में है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण की पुनर्विचार याचिका पर 100 से ज्यादा बिल्डरों को तगड़ा झटका दिया है। इन बिल्डरों को भूमि आवंटन की एवज में बकाया पैसा ब्याज और पेनल्टी समेत चुकाना पड़ेगा। विकास प्राधिकरणों ने तो बिल्डरों से बकाया वसूली की तैयारी शुरू कर दी है। यह रकम कितनी बड़ी है, अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के 11 राज्यों के सिक्किम 7,051,पांडिचेरी 10,696,मिजोरम, 11,149,मेघालय 16,832,गोवा 21,647,अरुणाचल प्रदेश 22,581, त्रिपुरा 22,725,नगालैंड 22,817,मणिपुर 28,824,हिमाचल प्रदेश 51,365,उत्तराखंड 57,400, सालाना बजट से भी ज्यादा पैसा इन बिल्डरों पर है। 

नोएडा शहर की सभी ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं पर विकास प्राधिकरण के करीब 26 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। लेकिन इनमें करीब 25 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनसे जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय या एनसीएलटी में विचाराधीन हैं।

नोएडा प्राधिकरण का ग्रुप हाउसिंग के अलावा व्यावसायिक, संस्थागत और औद्योगिक संपत्तियों से जुड़े बिल्डरों पर भी करीब 15 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। ऐसे में कुल मिलाकर करीब 41 हजार करोड़ रुपये बिल्डरों पर बाकी हैं। वर्ष 2009 में गौतमबुद्ध नगर की डेवलपमेंट अथॉरिटीज ने भूमि आवंटन से जुड़े नियम लचीले कर दिए थे। जिनका बिल्डरों ने जमकर फायदा उठाया लेकिन अथॉरिटीज का पैसा नहीं चुकाया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार आने के बाद डिफॉल्टर बिल्डरों से वसूली शुरू की गई। इन पर शिकंजा कसने लगा तो बिल्डर सुप्रीम कोर्ट चले गए। करीब 3 वर्षों से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन था। अब जाकर डिफॉल्टर बिल्डरों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के भी 20,000 करोड रुपए से ज्यादा बिल्डरों पर बकाया हैं। पिछले करीब 4 वर्षों से तो इन बिल्डरों ने एक फूटी कौड़ी प्राधिकरण को नहीं दी है। जिसका बुरा असर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। आज की तारीख में प्राधिकरण पर करीब 6,000 करोड़ रुपए का भारी-भरकम कर्ज है। जिसके लिए रोजाना करीब एक करोड़ रुपए बतौर ब्याज चुकाने पड़ रहे हैं। दूसरी और बिल्डरों ने प्राधिकरण से ली पूरी जमीन बेच डाली। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाकर खड़े कर दिए हैं। उनमें लाखों घर बेचकर फ्लैट खरीदारों से पूरा पैसा वसूल कर लिया है।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण करीब 61,000 करोड़ रुपए शहर के 200 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से वसूल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह पैसा 100 से ज्यादा बिल्डरों पर बाकी है। अगर यह रकम प्राधिकरण को मिल जाए तो तमाम समस्याएं दूर हो जाएंगी। मसलन, ग्रेटर नोएडा कर्ज मुक्त हो जाएगा। अथॉरिटी के पास सरप्लस पैसा होगा। दूसरी तरफ नोएडा अथॉरिटी को शहर में बड़े डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पूरा करने के लिए पैसा मिल जाएगा। अगले 5 वर्षों के दौरान नोएडा अथॉरिटी को ट्रैफिक मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर करीब 50,000 करोड़ रुपए खर्च करने हैं। बिल्डरों पर बकाया 61,000 करोड़ रुपए है