साल 2023 में भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे बड़ा अवसर वनडे विश्वकप होगा। क्रिकेट इतिहास में पहली बार वनडे विश्वकप सिर्फ भारत में ही आयोजित किया जाएगा। संभवतया रोहित और कोहली के लिए ये आखिरी विश्वकप होगा। बुमराह, भुवनेश्वर, राहुल जैसे खिलाड़ी भी अपने लंबे क्रिकेट करियर में पहली बार विश्वकप की ट्रॉफी पर हाथ जमाना चाहेंगे। इस विश्वकप से इतनी उम्मीदें इसलिए हैं क्योंकि भारत धोनी की कप्तानी में आखिरी बार विश्वकप भारतीय जमीन पर ही जीता था। पिछले एक दशक में घरेलू मैदान पर हमारा रिकॉर्ड शानदार रहा है, जो टीम के मनोबल को जरूर बढ़ाएगा।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। सबसे बड़ा चैलेंज वर्ल्ड कप विनर टीम तैयार करना होगा। पिछले कुछ टूर्नामेंट्स में हम इसी मोर्चे पर फेल होते रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना है। अभी भी दर्जनों काबिल खिलाड़ी टीम से जुड़ने की कतार में हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, द. अफ्रीका और पाकिस्तान की मजबूत टीमें भी बैटिंग फ्रेंडली पिचों पर भारत के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। पाकिस्तान के टूर्नामेंट में हिस्सेदारी पर संशय है, और ये उनकी भारत आने की इच्छा और केंद्र सरकार के रवैये पर निर्भर करेगा। साल 2011 में भारत में हुए विश्वकप से लेकर अब तक क्रिकेट काफी बदल चुका है। नए नियम होंगे, नई टीमें होंगी और नई उम्मीदें होंगी।
भारत को सबसे बड़ा फायदा घर में खेलने का मिलेगा। भारत ने पिछले एक दशक में यहां जितने मुकाबले जीते हैं, उतने तो किसी दूसरी टीम ने खेले भी नहीं हैं। डे-नाइट मैच में ओस की भूमिका भी बढ़ जाती है और भारत को ऐसी परिस्थतियों में खेलने और जीतने का ज्यादा अनुभव है। भारत ने 10 सालों में घरेलू मैदान पर 74 में से 47 मैच जीते और सिर्फ 25 हारे हैं।
साल की शुरुआत टीम श्रीलंका के खिलाफ लिमिटेड ओवर्स सीरीज से करेगी। इसकी टीम में भारत की वर्ल्ड कप टीम के संकेत मिल गए हैं। पंत फिट नहीं हुए तो सैमसन जगह बना सकते हैं। कुछ सालों में भारत की बैटिंग का कोई सानी नहीं रहा है। हालांकि, खिलाड़ियों की फिटनेस चिंता बढ़ा सकती है। मैनेजमेंट के सामने खिलाड़ियों को मैच प्रैक्टिस देने की चुनौती भी होगी।