यूपी के माफिया अतीक अहमद की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई। पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों ने पहले अतीक और फिर उसके साथ चल रहे भाई अशरफ अहमद को गोली मार दी। पुलिस दोनों को मेडिकल टेस्ट के लिए ले जा रही थी। अतीक और अशरफ को उमेश पाल हत्याकांड में पूछताछ के लिए प्रयागराज लाया गया था।
प्रयागराज की नैनी जेल, देवरिया जेल और बरेली जेल में अतीक की दहशत के कई किस्से हैं। एक वक्त वो भी था, जब 2017 में अतीक ने नैनी जेल में सबके सामने जेलर को थप्पड़ मार दिया था। अतीक के इसी रुतबे पर 2 अप्रैल को ये स्टोरी की गई थी। अब इसे दोबारा पब्लिश कर रहे हैं।
यूपी की जेलों में खासकर नैनी में अतीक और उसके गैंग का हमेशा रुतबा रहा। 27 मार्च की शाम की कहानी सुनिए। उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई के लिए अतीक को साबरमती और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से नैनी लाया गया था। जेल के सोर्स के मुताबिक, अशरफ प्रिजन वैन से उतरा। इसी दौरान गेट पर खड़े जेलर ने कहा- ‘अपना बैग लेते जाओ।’
अशरफ पलटा और जेलर को घूरते हुए बोला- ‘अब मैं बैग उठाऊंगा।’ एक पुलिसवाले ने वो बैग उठा लिया और अशरफ के पीछे-पीछे जेल के अंदर चला गया। बैरक पहुंचा तो अशरफ बोला- ‘भतीजा (अली) कैसा है। उसकी बैरक क्यों बदल दी?’ पुलिसवाले ने जवाब दिया- ‘अली के बैरक में अतीक को रखा जाएगा।
राजू पाल मर्डर केस में गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी, 2006 को अपहरण कर लिया गया था। अतीक अहमद को इसी केस में उम्रकैद हुई थी। फोटो में दिख रहे अशरफ अहमद (सफेद कुर्ते में) को कोर्ट ने बरी कर दिया था।
पेशी के बाद अशरफ बरेली जेल चला गया और अतीक साबरमती जेल। लेकिन अशरफ के वाकये से साफ हो गया कि कम से कम नैनी जेल में ज्यादा कुछ नहीं बदला। हमने भी नैनी जेल के आसपास 12 घंटे गुजारे और इस जेल में अतीक के गुजारे वक्त के दौरान की कहानियां निकालीं। यहां से रिटायर्ड अधिकारियों ने जो बताया, वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं।
नैनी जेल को अतीक का किला भी कहा जाता है। नैनी जेल में पोस्टेड रहे कई जेलर इस बात की तस्दीक करते हैं कि नैनी जेल में अतीक की अदालत चलती थी। इस अदालत के फैसले को कोई भी चैलेंज नहीं कर सकता था।
इस अदालत के लिए हाई सिक्योरिटी सेल में एक स्पेशल चबूतरा बनवाया गया था और ये अब भी बना है। इसी पर बैठकर अतीक फैसले सुनाता था। अतीक के चकिया वाले घर पर भी अदालत लगती थी, जब वो जेल में रहता तो यही अदालत जेल के अंदर लगने लगी। दोनों पक्ष उसके फैसले को अंतिम निर्णय मानकर, सिर झुकाकर मानने के लिए मजबूर होते थे।
हमारी मुलाकात इसी अदालत से पीड़ित एक शख्स से हुई। ये शख्स इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील हैं। नाम जाहिर न करते हुए उन्होंने बताया- ‘अतीक के गुर्गे बाहर गुंडागर्दी करते थे और ज्यादातर उनके सताए लोग ही अतीक से मदद मांगने के लिए इस अदालत में जाते थे। मैं 2009-10 में गया था। अतीक तब राजू पाल मर्डर केस में नैनी जेल में बंद था।’
‘मेरे पास धूमनगंज में ट्रिपल आईटी के पास करीब 1400 स्क्वायर फीट जमीन थी। इस पर अतीक के गुर्गों ने कब्जा कर लिया था। मैंने वो जमीन 5 लाख रुपए में घर बनाने के लिए खरीदी थी। अतीक के गुर्गों ने बाउंड्री वाल और नेम प्लेट तोड़कर उसे अपनी जमीन में मिला लिया।’
‘मेरे दोस्तों ने कहा कि अतीक की नैनी जेल में अदालत लगती है, वहां जाकर मदद मांगो। मुझे नहीं पता था कि यही असली ट्रैप है। घंटों बहस के बाद अतीक अहमद ने फैसला सुनाया कि तुमने 8 साल पहले 5 लाख में ये जमीन खरीदी थी, ये अब 7.5 लाख रुपए देंगे, ले लो और इनके नाम रजिस्ट्री कर दो। तब उस जमीन की कीमत 35 लाख रुपए थी। अतीक ने ये भी कहा कि इसे आखिरी फैसला समझना, कहीं और गए तो ठीक नहीं होगा। मुझे मानना पड़ा।’2018 से 2020 तक नैनी जेल के सुपरिन्टेंडेंट रहे एचबी सिंह भी अतीक के इसी रसूख की एक कहानी सुनाते हैं। साल 2019 की बात है, लोकसभा चुनाव से पहले अतीक अहमद को नैनी सेंट्रल जेल लाया गया था। अतीक को बरेली से प्रयागराज लाया गया, तो रात में पुलिस पहले उसे उसके घर ले गई। रात भर वो घर में रहा, फिर सुबह-सुबह उसे नैनी जेल लाया गया।
अतीक यहां पंहुचा तो उसकी फेवरेट हाई सिक्योरिटी सेल में एमएलसी विजय सिंह और सांसद अतुल राय बंद थे। अचानक ऊपर से आदेश आ गया कि वो सेल अतीक को दी जाए। मुझे खुद जाकर विजय सिंह और अतुल राय को बगल वाली बैरक में शिफ्ट कराना पड़ा। जैसे इतना काफी नहीं था, अतीक ने तुरंत अपनी अदालत लगाने के लिए गुर्गों को आदेश भिजवा दिया। मैं ये नहीं होने दे सकता था, तो मैंने सभी को चेतावनी दी कि जो दरबार में गया उसकी खैर नहीं होगी।
एचबी सिंह कहते हैं कि ‘मेरे आदेश के बाद अतीक की अदालत में उसके 10-12 गुर्गे ही पहुंचे, लेकिन सुरक्षा देखकर वे भी लौट गए। यह देखकर अतीक बौखला गया और जेलर के पीछे-पीछे मुझसे मिलने मेरे चेंबर में पहुंच गया। मैंने उससे मिलने से मना कर दिया। उसकी तरफ से दोबारा मैसेज आया, तो मैंने फिर मना कर दिया।
इसके बाद अतीक जबरन ऑफिस के दरवाजे पर पहुंच गया। वहीं खड़े होकर बोला- बॉस नमस्कार, और सीधा अंदर घुस आया। मेरे सामने ही बगल वाली कुर्सी खींचकर बैठ गया। कुर्सी पर बैठते ही उसने कहा- ‘शायद आपने हमको पहचाना नहीं, हम अतीक अहमद हैं।’
जवाब में अतीक ने कहा- ‘अगर नजर रख रहे हैं, तो फिर मेरे बारे में जान लीजिए। मैं अपने क्षेत्र का सबसे बड़ा खिलाड़ी हूं और बात से ज्यादा गोली-बंदूक चलाता हूं। बात-बात पर हत्या हो जाती हैं।’
मैंने भी पलटकर कहा- ‘जेल के अंदर ज्यादा गुंडागर्दी करोगे, तो मामला गड़बड़ा जाएगा। जाकर अपनी बैरक में बैठो।’ इसी बीच तत्कालीन DIG बीआर वर्मा आ गए। उन्होंने अतीक को उसकी बैरक में भेज दिया।
अतीक 2017-18 के दौरान देवरिया जेल में था। एक बार उसने जेलर को धमकी दे दी, जेलर को गुस्सा आ गया और उन्होंने डंडा दिखाकर अतीक को चुप करा दिया। इसके बाद अतीक हमेशा उनसे तमीज से पेश आया। इलस्ट्रेशन: मंसूर नकवी
अतीक 2017-18 के दौरान देवरिया जेल में था। एक बार उसने जेलर को धमकी दे दी, जेलर को गुस्सा आ गया और उन्होंने डंडा दिखाकर अतीक को चुप करा दिया। इसके बाद अतीक हमेशा उनसे तमीज से पेश आया। इलस्ट्रेशन: मंसूर नकवी
अतीक का ये किस्सा देवरिया जेल का है। इसी देवरिया जेल में एक व्यापारी को किडनैप करके लाया गया था। अतीक ने उसे जेल के अंदर ही लाठियों से पीटा था। अतीक का देवरिया जेल में काफी खौफ था, लेकिन यहीं उसका सामना एक ऐसे जेलर से हुआ, जिसने उसे भी सीधा कर दिया था।
ये बात 2017-18 की है। नाम न देने की शर्त पर एक जेल अधिकारी ने बताया, ‘अतीक अहमद नैनी सेंट्रल जेल से ट्रांसफर होकर देवरिया जेल गया था। वहां अतीक हेल्थ चेकअप कराने के लिए जेल अस्पताल गया था। किसी बात पर वह फार्मासिस्ट से उलझ गया और उसे थप्पड़ जड़ दिया। जेलर को ये बात पता चली, तो वे गुस्से में उसके पास पहुंचे। जेलर को गुस्से में देख अतीक भी भड़क गया।’
इस पर जेलर और भड़क गए, उन्होंने हाथ में डंडा उठा लिया। जवाब दिया- ‘अभी इसी लाठी से तोड़कर तुम्हें बैठा देंगे। तुम्हारे ऊपर 150 मुकदमे हैं, तो बहुत होगा 151 हो जाएगा, लेकिन हमारे ऊपर एक भी नहीं है। एक हो भी जाएगा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’
जेलर साहब का ये रूप देखकर अतीक शांत हो गया। इसके बाद से वो जेलर के साथ हमेशा इज्जत से पेश आने लगा। साल 2019 में जब वो नैनी जेल आया तो फिर उसकी मुलाकात उन्हीं जेलर से हुई। नैनी में भी उसने उन जेलर साहब से काफी शालीनता से मुलाकात की।
जेलर को थप्पड़ मारने का मामला 2017 का है, जब अतीक नैनी जेल में था। उस समय अतीक काफी रुतबे वाला था, इस घटना के बाद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इलस्ट्रेशन: मंसूर नकवी
रिटायर्ड जेल सुपरिन्टेंडेंट एचबी सिंह साल 2017 का एक और किस्सा सुनाते हैं। वे बताते हैं, प्रयागराज में शुआट्स कृषि विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ और मारपीट करने के मामले में जनवरी 2017 में अतीक ने कोतवाली में सरेंडर किया था। उसे नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जेल के अंदर मोबाइल से बात करने पर मनाही थी। वहां जैमर लगा हुआ था। इस वजह से बैरक के अंदर से अतीक को फोन पर बात करने में दिक्कत हो रही थी।
एक दिन अतीक जेलर से मिला और जैमर की फ्रीक्वेंसी कम करने को कहा। जेलर ने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए ऐसा करने से मना कर दिया। जेलर के मना करने पर अतीक भड़क गया और गाली-गलौज करने लगा। जेलर ने उसे रोका तो उसने जेलर के गाल पर तमाचा जड़ दिया।
रिटायर्ड आईपीएस लालजी शुक्ला प्रयागराज में 1995 से साल 2000 तक एसपी सिटी रहे हैं। अतीक से जुड़ी एक घटना वे भी बताते हैं। अतीक सरेंडर कर नैनी जेल में था। यहां उसने एक साजिश रची। पुलिस पर दबाव बनाने के लिए उसने 7 अगस्त 2002 को कचहरी में पेशी पर अपने ऊपर ही बम चलवा लिया। उसने हमला ऐसा करवाया जो घातक नहीं था।
घटना के बाद उसके समर्थकों ने कर्नलगंज, जॉर्जटाउन, कोतवाली, शाहगंज, धूमनगंज खुल्दाबाद समेत कई जगहों पर हिंसा की। इसके जरिये पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन, हमने इस मामले में उसके शूटर अखलाक को गिरफ्तार कर लिया। अखलाक ने मजिस्ट्रेट के सामने कबूला कि अतीक ने पिता और भाई की मदद से खुद पर हमला कराया है। इस केस में अतीक की काफी संपत्ति हमने अटैच की थी, लेकिन बाद में आई सरकार ने सारी प्रॉपर्टी रिलीज कर दी।
प्रयागराज में नैनी सेंट्रल जेल को अतीक का दूसरा घर कहा जाता है। रिटायर्ड आईपीएस लालजी शुक्ला बताते हैं कि अतीक ने 14 दिसंबर 2016 को नैनी के महेवा में शुआट्स कृषि विश्वविद्यालय में घुसकर मारपीट की थी।
11 फरवरी 2017 को उसने नैनी कोतवाली में सरेंडर कर दिया। इसके बाद उसके 50 से ज्यादा गुर्गे कानूनी तरीके से जेल पहुंच गए थे। अतीक को जेल में कोई दिक्कत न हो, इसलिए ये गुर्गे अपनी जमानत तुड़वा कर या फिर अवैध असलहे, मारपीट, पुराने हत्या के मामले में सरेंडर करके, कोर्ट में हाजिर होकर नैनी जेल पहुंच जाते थे।
रिटायर्ड जेल सुपरिन्टेंडेंट एचबी सिंह बताते है कि नैनी जेल के अंदर सर्किल 5 में उसकी गैंग से जुड़े या फिर उसे फॉलो करने वाले 400 से 500 बंदी है। फिलहाल माफिया अतीक अहमद का दूसरे नंबर का बेटा अली नैनी में बंद है। उसके अलावा वसीउर्रहमान, फैज मोहम्मद, आरिफ कटौली, अमन खान, अनवर खुल्ली सैफ उर्फ माया, बाबू, अकबर, फुरकान, रेहान, आजम, फरहान जैसे शूटर्स नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं, ये सभी अतीक गैंग के हैं।नैनी जेल में बाहुबली नेताओं से लेकर आतंकी तक बंद हैं। इस जेल में BSP सांसद अतुल राय समेत करवरिया बंधु भी बंद हैं। करवरिया बंधु को अतीक का दुश्मन गैंग माना जाता था, वे फिलहाल पैराेल पर बाहर हैं।
नैनी जेल में इस समय 51 आतंकी भी बंद हैं। 15 नवंबर 2022 को जम्मू-कश्मीर से 21 आतंकवादियों को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बहुत गोपनीय तरीके से नैनी जेल में शिफ्ट किया गया था। ये सभी कैदी इससे पहले जम्मू की कोट भलवाल सेंट्रल जेल में बंद थे। आतंकियों को जेल के अंदर बनी हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। इससे पहले भी 30 आतंकियों को यहां लाया गया था।
इसी के साथ दो बांग्लादेशी और दो नक्सली भी यहां की हाई सिक्योरिटी सेल में है। जेल के अंदर बनी हाई सिक्योरिटी सेल के दो ब्लॉक में 55 बंदियों को रखे जाने की क्षमता है। ब्लॉक-A में 36 और ब्लॉक-B में 19 बंदियों को रखा जा सकता है। सेंट्रल जेल नैनी की क्षमता 2060 कैदी है, लेकिन यहां 4190 कैदी बंद हैं।