मंगलवार को शाहरुख खान-दीपिका पादुकोण की फिल्म पठान का ट्रेलर रिलीज हुआ। ट्रेलर आते ही कुछ दिन से ठंडे पड़े भगवा बिकिनी विवाद ने जोर पकड़ा और सोशल मीडिया पर फिर से #BoycottBollywood और #BoycottPathan ट्रेंड चल पड़ा। ये पहला मामला नहीं है जब बॉलीवुड फिल्मों को लेकर विवाद हुए हैं। दिलचस्प है कि 1913 में बनी राजा हरिश्चंद्र को भारत की पहली फिल्म होने का तमगा हासिल है, लेकिन 100 साल बाद 2013 में इस दावे को सीधे कोर्ट में चुनौती दी गई कि भारत की पहली फिल्म 1912 में बनी मराठी फिल्म श्रीपुंडालिक है। हालांकि कोर्ट में जीत राजा हरिश्चंद्र की ही हुई।
1933 में आई कर्मा में देविका रानी और हिमांशु राय के बीच फिल्माए गए 4 मिनट लंबे किसिंग सीन पर इतना बवाल हुआ कि फिल्म बुरी तरह पिट गई। 1947 में दिलीप कुमार की फिल्म जुगनू वो पहली फिल्म थी, जिस पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा, हालांकि इस विवाद से फिल्म को जबरदस्त बूस्ट मिला और बॉक्स ऑफिस पर हिट हो गई।
कभी इमरजेंसी, कभी अंडरवर्ल्ड तो कभी भारत-पाकिस्तान का झगड़ा, फिल्मों का विवादों से नाता उतना ही पुराना है जितना कि भारत में फिल्में हैं। विवादों से कभी फिल्में हिट हुईं, कभी फ्लॉप तो कभी फिल्मों पर बैन भी लगा, सितारों के करियर भी डूबे।
भारतीय सिनेमा के इतिहास के अनुसार पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म दादा साहेब फाल्के की राजा हरिश्चंद्र मानी गई है, जिसे 1913 में रिलीज किया गया था। हालांकि इससे पहले ही 1912 में दादासाहेब तोरने की मराठी भाषा की फिल्म श्री पुंडालिक रिलीज हुई थी।
राजा हरिश्चंद्र की रिलीज के 100 साल बाद 2013 में तोरने के परिवार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिल किया कि भारत की पहली फिल्म का क्रेडिट राजा हरिश्चंद्र नहीं बल्कि श्री पुंडालिक को दिया जाना चाहिए, लेकिन जानकारों ने इस बात को खारिज कर दिया।
दरअसल, रिलीज डेट के मुताबिक मराठी फिल्म श्री पुंडालिक पहली फिल्म होनी थी, लेकिन फिल्म जानकारों का मानना था कि वो असली भारतीय फिल्म नहीं हो सकती क्योंकि उसे एक स्टेज प्ले को रिकॉर्ड कर बनाया गया था, वहीं उसका कैमरामैन भी भारतीय नहीं बल्कि ब्रिटिश था और फिल्म का काम भी सारा लंदन में हुआ था। चूंकि दादा साहेब फाल्के भारतीय थे और उनकी फिल्म राजा हरिश्चंद्र को भारत में सारे भारतीय कलाकारों के साथ बनाया गया था, ऐसे में इसे ही भारत की पहली फिल्म घोषित किया गया।
1921 में जब भक्त विदुर फिल्म बनी तो ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी थी। ये भारत में बैन होने वाली पहली भारतीय फिल्म है। फिल्म में नजर आने वाला विदुर का किरदार काफी हद तक महात्मा गांधी से मिलता-जुलता था, जिस पर ब्रिटिश सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी।
ये फिल्म जलियांवाला बाग हत्याकांड होने और Rowlatt Act लगने के ठीक बाद रिलीज हुई थी। ऐसे में फिल्म की आड़ में सरकार विरोधी गांधी जैसे कैरेक्टर को फिल्म में दिखाए जाने से सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। सेंसर बोर्ड ने ऐसा ही कारण सेंसर रिपोर्ट में लिखा- हम जानते हैं कि आप क्या दिखाना चाहते हैं, ये विदुर नहीं, गांधी हैं। हम इसे रिलीज नहीं होने देंगे। ये सरकार के खिलाफ असंतुष्टि दिखाती है और लोग इसे देखकर को-ऑपरेट करना बंद कर सकते हैं।
1928 की विगताकुमारम मलयाली भाषा की पहली फिल्म थी। इस फिल्म के डायरेक्टर जे.सी. डेनियल थे। एंग्लो इंडियन एक्ट्रेस द्वारा फिल्म छोड़े जाने के बाद जे.सी. डेनियल ने एक दलित लड़की पीके रोजी को फिल्म में हीरोइन बना लिया था। ऐसे में अपर क्लास के लोगों ने फिल्म का जमकर विरोध किया था
फिल्म बनने पर लोगों ने छोटी जाति की लड़की को पर्दे पर देखने से इनकार कर दिया। फिल्म के एक सीन से भीड़ को इतनी आपत्ति हुई कि लोगों ने पत्थर मारकर पर्दा फाड़ दिया। दरअसल फिल्म में हीरो ने दलित रोजी के बालों में लगा फूल चूमा था। गुस्साई भीड़ ने रोजी की जान लेने की कोशिश की और उसका घर, थिएटर सब जला दिया। जान बचाने के लिए रोजी को तिरुवनंतपुरम छोड़कर गुमनाम जिंदगी जीनी पड़ी। 7 नवंबर 1928 को रिलीज हुई इस पहली मलयाली फिल्म में लगे डेनियल के सारे पैसे डूब गए तो वो भी कंगाल हो
1933 की इस फिल्म में इंडियन सिनेमा की पहली स्टार एक्ट्रेस देविका रानी और उनके पति हिमांशु ने लीड रोल प्ले किया था। फिल्म में देविका और हिमांशु का 4 मिनट लंबा किसिंग सीन था। ये पहली बार था जब पर्दे पर किसिंग सीन दिखाया गया था, वो भी 4 मिनट का। सीन की खूब आलोचना हुई और विवाद शुरू हो गया। दरअसल, ये इंग्लिश और हिंदी फिल्म थी, जिसका प्रीमियर लंदन में हुआ था।
लंदन में देविका के अभिनय की खूब चर्चा हुई, लेकिन भारत में कर्मा को नागिन की रागिनी नाम से रिलीज किया गया, तो देविका का लोगों ने खूब विरोध किया। नतीजतन चंद ही दर्शक फिल्म देखने पहुंचे और ये फिल्म फ्लॉप हो गई। ये भारतीय सिनेमा के लिए एक लैंडमार्क साबित हुई। साथ ही ये पहली इंडियन फिल्म थी, जिसमें इंग्लिश डायलॉग थे। फिल्म आज भी सबसे लंबे ऑनस्क्रीन किस का रिकॉर्ड रखती है।
23 मई 1947 को दिलीप कुमार और नूर जहां स्टारर फिल्म जुगनू रिलीज हुई। फिल्म कॉलेज रोमांस पर आधारित एक खूबसूरत लव स्टोरी थी। फिल्म के विरोध के दो कारण थे, पहला कि इसमें स्टूडेंट्स के बीच काफी ज्यादा रोमांस दिखाया गया था और दूसरा कि फिल्म के डायरेक्टर शौकत हुसैन रिज्वी भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाकर बस गए थे।
शौकत पर लोगों ने हैदराबाद के अलगाववादी कासिम रिज्वी से रिश्ते होने के भी आरोप लगाए। फिल्म इंडिया मैगजीन के एडिटर बाबूराव ने रिज्वी पर खूब निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड को ऐसे प्रोड्यूसर पर ध्यान देना चाहिए जो हमारे साथ रहकर हमारी पीठ पर खंजर घोंपते हैं और ऐसी एंटी-सोशल और एंटी रिलीजियस एक्टिविटीज करते हैं। खूब विवाद हुए और आम जनता भी फिल्म के विरोध पर सड़कों पर उतरी, पर इससे इतर फिल्म हिट रही और इसी से दिलीप कुमार को स्टार का दर्जा हासिल हुआ।25 जून 1975 को इमरजेंसी लागू होने का सीधा असर बॉलीवुड पर पड़ा और इस दिन को इंडस्ट्री ने ब्लैक डे घोषित कर दिया। फिल्मों और मीडिया से तमाम तरह की आजादी छीन ली गई। कई फिल्में बैन कर दी गईं, फिल्मों में सरकार दखल देने लगी, वहीं कई फिल्मों की प्रिंट ही जला दी गई और कई थिएटर भी इमरजेंसी की आग में जले।
शोले फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने कई मौकों पर बताया कि सरकार के हस्तक्षेप से शोले के क्लाइमैक्स में बदलाव किया गया था। पहले गब्बर को ठाकुर द्वारा अपने नुकीले जूतों से मारता दिखाया जाना था, लेकिन सरकार ने इसका विरोध किया और मेकर्स को दो हफ्तों में क्लाइमैक्स बदलना पड़ा। कानून ध्यान में रखते हुए मेकर्स ने फिल्म में दिखाया कि ठाकुर, गब्बर को पुलिस के हवाले कर देता है।
संजीव कुमार और सुचित्रा सेन स्टारर फिल्म आंधी को इमरजेंसी के समय बैन किया गया था। ये फिल्म इंदिरा गांधी पर बनी थी, जो उस समय सत्ता में थीं। ऐसे में फिल्म को रिलीज होने से रोक दिया गया था। जब 1977 में गांधी सरकार गिरी तो फिल्म से लगा बैन हटा दिया गया था।
इमरजेंसी के दौरान रिलीज होने वाली फिल्म किस्सा कुर्सी का बैन की गई थी। जब फिल्म को सेंसर बोर्ड के पास भेजा गया तो संजय गांधी के समर्थकों ने फिल्म की सारी प्रिंट में आग लगा दी। वजह थी फिल्म में संजय गांधी के ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग का मजाक बनाना। प्रिंट जलाई जाने के बाद मेकर्स ने नई कास्ट के साथ फिल्म दोबारा बनाई थी।
इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी की छवि सुधारने के लिए कई तरह की मुहिम चलाई गई थीं। नरगिस दत्त और सुनील दत्त जैसे कई ऐसे कलाकारों को हायर किया गया था, जो गानों, रैलियों और फिल्मों के जरिए उनका समर्थन करें। इसी बीच किशोर कुमार को 20 सूत्री प्रोग्राम के लिए संजय गांधी की शान में गाना गाने के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने गाने से इनकार कर दिया। इस बात से नाराज होकर कांग्रेस ने किशोर कुमार के गानों पर बैन लगवा दिया था।
दिलीप कुमार और देव आनंद को दिल्ली में संजय गांधी की अगुआई में हुई एक रैली का हिस्सा बनने के लिए बुलाया गया। रैली खत्म होने के बाद देव आनंद से कहा गया कि उन्हें रेडियो जाकर संजय गांधी और कांग्रेस की तारीफों वाला बयान रिकॉर्ड करवाना है।
देव आनंद ने ऐसा करने से इनकार किया तो कांग्रेस पार्टी ने उनकी सभी फिल्में दूरदर्शन से बैन करवा दीं। देव आनंद का नाम हर जगह से हटाया जाने लगा तो उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्री के पास शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं मिल सका। नरगिस ने भी देव आनंद को फैसला बदलने के लिए खूब मनाया, लेकिन देव नहीं माने।
90 के दशक में अंडरवर्ल्ड की दुनिया और बॉलीवुड का सीधा कनेक्शन सामने आया था। कई अंडरवर्ल्ड डॉन के पैसे लगाकर फिल्में बनाई जा रही थीं और टैलेंट की जगह डॉन की सिफारिश पर हीरोइन और हीरो को फिल्मों में लिया जा रहा था। बॉलीवुड सेलेब्स अंडरवर्ल्ड डॉन की पार्टी की शान बढ़ा रहे थे और अनिल कपूर, मंदाकिनी, मोनिका बेदी, ऋषि कपूर, सलमान खान जैसी कई हस्तियों को वॉन्टेड डॉन के साथ देखा जाने लगा था। तस्वीरें सामने आती थीं, विवाद होते थे और फिल्में बनती रहती थीं।
राकेश रोशन ने कहो ना प्यार है फिल्म का प्रॉफिट अंडरवर्ल्ड के लोगों को नहीं दिया तो उनकी जान लेने की कोशिश की गई और उन पर कई गोलियां चलवाई गईं।
मंदाकिनी ने दाऊद इब्राहिम से नाम जुड़ने के बाद इंडस्ट्री छोड़ दी। वहीं अबू सलेम से लिंक-अप के बीच मोनिका बेदी को विदेश से गिरफ्तार किया गया था
12 मार्च 1993 को मुंबई के अलग-अलग इलाकों में लगातार बम धमाके हुए। पुलिस जांच में सामने आया कि संजय दत्त भी इन धमाकों से जुड़े हैं। जांच में उनके घर से एके-47 भी मिली थी। अप्रैल 1993 में पहली बार संजय दत्त को जेल हुई। इससे उनकी फिल्में रुक गईं और संजय को आतंकवादी समझा जाने लगा। इस दौरान उनके पिता सुनील दत्त की भी खूब बदनामी हुई थी। इसी साल जून में संजय की फिल्म खलनायक रिलीज हुई जो जबरदस्त हिट थी। इसके बाद संजय की कई फिल्में फ्लॉप रहीं, लेकिन फिर संजय ने वास्तव फिल्म से जबरदस्त कमबैक किया था।
सलमान खान काला हिरण केस-1998 में हम साथ-साथ हैं फिल्म की शूटिंग के दौरान जोधपुर के पास सलमान खान, नीलम, तब्बू, सैफ अली खान, सोनाली बेंद्र ने काले हिरण का शिकार किया था। सभी एक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। समय के साथ सैफ, तब्बू पर लगे आरोप खत्म होते गए, लेकिन सलमान को 2006 में एक साल की सजा सुनाई गई। 2007 में सलमान को एक हफ्ते तक जेल में भी रहना पड़ा था।
हिट एंड रन में फंसे सलमान खान- साल 2002 में सलमान खान पर आरोप लगे कि उन्होंने नशे की हालत में फुटपाथ पर सो रहे 5 लोगों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी है, जिससे एक आदमी की मौत हो गई। मामले में सलमान को 2004 में 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद सलमान खान के ड्राइवर ने कोर्ट में कबूला कि गाड़ी वो चला रहा था। इसी बीच मुख्य चश्मदीद गवाह के अचानक गायब हो जाने से केस हल्का होता चला गया और 2015 में सलमान को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया। इन कानूनी पचड़ों का बुरा असर सलमान के करियर पर तो नहीं पड़ा, हालांकि सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ बहुत बयानबाजी हुई थी।
रेप केस में शाइनी आहूजा- जून 2009 में एक्टर शाइनी आहूजा की नौकरानी ने उन पर रेप करने के संगीन आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी। एक महीने तक जेल में रखे जाने के बाद शाइनी को बेल पर छोड़ा गया था। रेप केस में नाम आने पर शाइनी का करियर पूरी तरह बर्बाद हो गया था, जबकि इससे पहले उनके पास भूल भुलैया, भागम भाग जैसी फिल्में थीं। एक साल बाद नौकरानी ने अपना बयान बदल लिया था, जिससे उन्हें आरोपों से मुक्त किया गया था।साल 2010 में रिलीज हुई फिल्म माय नेम इज खान रिलीज से पहले काफी विवादों में थी। फिल्म रिलीज से पहले किंग नाइट राइडर के मालिक शाहरुख खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि IPL में पाकिस्तानी प्लेयर्स को भी शामिल किया जाना चाहिए। शाहरुख के बयान के बाद लोग उन्हें पाकिस्तानियों का सपोर्टर बताते हुए उनकी फिल्म माय नेम इज खान को बैन करने की मांग करने लगे थे।
2014 में दिए एक इंटरव्यू के दौरान शाहरुख खान ने भारत में लिंचिंग के बढ़ते मामलों पर कहा था कि भारत में काफी इंटॉलरेंस है। एक्टर का बयान सामने आते ही उनकी फिल्म दिलवाले को बैन किए जाने की मांग की जाने लगी थी। बाद में एक्टर ने सफाई दी कि उनके बयान को गलत तरह से पेश किया गया था। इस समय उनकी फिल्म दिलवाले का बायकॉट किया गया था।
साल 2012 में IPL टीम किंग नाइट राइडर के मालिक शाहरुख को स्टेडियम में जश्न मनाना भारी पड़ गया था। स्टेडियम के सिक्योरिटी गार्ड का आरोप था कि नशे में शाहरुख ने उनके साथ बदतमीजी की है। शाहरुख ने जश्न के दौरान स्टेडियम की लाइट बंद किए जाने पर आपत्ति जताते हुए सिक्योरिटी गार्ड से खूब झगड़ा किया था।
हालांकि बाद में एक्टर ने सफाई में कहा कि सिक्योरिटी गार्ड उनके बच्चों के साथ बुरा व्यवहार कर रहा था, इसीलिए उन्होंने झगड़ा किया। इस मामले में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा एक्टर के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई थी। साथ ही उन्हें हमेशा के लिए स्टेडियम में आने से बैन कर दिया गया था।
2015 में आमिर खान ने देश में कथित तौर पर बढ़ रहे इन्टॉलरेंस यानी असहिष्णुता के मुद्दे पर कहा था, ‘अपने बच्चे को लेकर पहली बार मुझे देश में डर लग रहा है। देश का माहौल देखकर एक बार तो पत्नी किरण ने बहुत बड़ी और डरावनी बात कह दी। किरण ने पूछा कि क्या हमें देश छोड़ देना चाहिए? किरण बच्चे की हिफाजत को लेकर डर महसूस कर रही थीं।’
आमिर के इस बयान के बाद उन पर चारों तरफ से सवालों की बौछार होने लगी थी और उन्हें काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। अनुपम खेर और परेश रावल जैसे बॉलीवुड स्टार्स ने भी उनका विरोध किया था। आमिर को स्नैपडील जैसी बड़ी कंपनी से हाथ धोना पड़ा था। इतना ही नहीं, आमिर को इनक्रेडिबल इंडिया कैंपेन से भी निकाल दिया गया था।फिल्म ऐ दिल है मुश्किल को 28 अक्टूबर 2016 को रिलीज किया जाना था, लेकिन इसकी रिलीज से ठीक पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने फिल्म को बैन करने के लिए देशभर में विरोध प्रदर्शन करवाए। कारण था फिल्म में पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की कास्टिंग। सेना ने धमकी दी कि जिस भी थिएटर में पाकिस्तानी एक्टर की फिल्म रिलीज होगी उसमें तोड़फोड़ की जाएगी। रिलीज से ठीक पहले महाराष्ट्र के सभी थिएटर्स की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई और नवनिर्माण सेना के 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
माहिरा खान ने 2017 की फिल्म रईस से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, लेकिन विवाद इतना बढ़ गया कि उन्हें मुंबई में हुए प्रीमियर तक में आने की परमिशन नहीं मिली। फिल्म में पाकिस्तानी एक्ट्रेस थी तो इसकी रिलीज रोकने की जमकर मांग की गई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने फिल्म के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर इसे बैन करने की मांग की। विवाद रोकने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने शर्त रखी कि विवाद तभी रोके जाएंगे जब प्रोड्यूसर्स ये वादा करें कि वो भविष्य में कभी किसी पाकिस्तानी एक्टर्स के साथ काम नहीं करेंगे और साथ ही इंडियन आर्मी को एक करोड़ का वेलफेयर फंड देंगे। आर्मी ने ये राशि लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद फिल्म तनाव के बीच रिलीज हुई।
साल 2018 में मी टू मूवमेंट के तहत तनुश्री दत्ता ने सीनियर एक्टर नाना पाटेकर पर यौन शोषण के संगीन आरोप लगाए थे। तनुश्री ने 2008 में ही हॉर्न ओके प्लीज फिल्म की शूटिंग के दौरान सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन के पास इस मामले में शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन नाना पाटेकर के खिलाफ उस समय कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जब 2018 में तनुश्री ने मी टू मूवमेंट पर नाना पाटेकर के खिलाफ आवाज उठाई तो खूब विवाद हुए। 2018 में ही ओशिवारा पुलिस स्टेशन में नाना पाटेकर समेत उनके कोरियोग्राफर गणेश आचार्य, डायरेक्टर राकेश सारंग और प्रोड्यूसर समी सिद्दीकी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई थी।
साजिद खान के खिलाफ मंदाना करीमी, रेचल व्हाइट, सलोनी चोपड़ा, सिमरन सुरी, मरीना कुंवर, अहाना कुमरा, डिंपल पॉल, शर्लिन चोपड़ा और जर्नलिस्ट करिश्मा उपाध्याय ने मी टू मूवमेंट के तहत सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे। विवाद बढ़ने पर साजिद खान को 12 अक्टूबर 2018 को हाउसफुल 4 फिल्म छोड़नी पड़ी थी, जिसे वो डायरेक्ट कर रहे थे। इसी बीच इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने साजिद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें पूरे एक साल तक बैन किया था। अब साजिद बिग बॉस 16 का हिस्सा बने हैं, इससे पहले उनके पास कोई काम नहीं था।
अक्टूबर 2018 में टीवी प्रोड्यूसर विंता नंदा ने एक्टर आलोक नाथ पर रेप के संगीन आरोप लगाए थे। इसी बीच रेणुका शहाणे, हिमानी शिवपुरी, संध्या मृदुल और दीपिका अमीन ने भी आलोक नाथ पर हैरेसमेंट के आरोप लगाए। आलोक को द सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन से निकाल दिया गया, जिसके चलते उनके हाथों से कई फिल्में निकल गई थीं।
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून 2020 को फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। सुशांत की मौत के बाद जहां पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इसे सुसाइड कहा गया, वहीं कई फैंस और परिवार वालों ने मर्डर की तरफ इशारा किया। सुशांत को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर जस्टिस फॉर सुशांत हैशटैग शुरू हुआ और रोजाना नई थ्योरी सामने आने लगी। कई लोगों ने आरोप लगाया कि सुशांत को ए-लिस्टर्स ने मरवाया है, वहीं कई लोगों ने इस मामले में महेश भट्ट और सलमान खान तक को जोड़ दिया। संजयलीला भंसाली, आदित्य चोपड़ा जैसे फिल्ममेकर्स से भी पूछताछ की गई।
कंगना रनोट ने सुशांत की मौत का कारण नेपोटिज्म और ग्रुप कल्चर को ठहराया, जिससे सभी स्टारकिड्स का विरोध शुरू हुआ। इस बीच आई आलिया की फिल्म सड़क 2 बुरी तरह फ्लॉप हो गई। स्टारकिड्स की कई फिल्में बैन होने की मांग हुई, वहीं उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स भी कम हो गए।
सुशांत की मौत से 6 दिन पहले ही उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत हुई थी, जिससे मामला और भी पेचीदा होता चला गया। इसी बीच सुशांत के ड्रग्स लेने की जानकारी भी सामने आई और मामला नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पास पहुंचा और सिलसिलेवार ड्रग लेने वाले सेलेब्स के नाम सामने आने लगे।
सुशांत मामले में जांच के दौरान उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक को गिरफ्तार किया गया, वहीं श्रद्धा कपूर, सारा अली खान, दीपिका पादुकोण और रकुल प्रीत सिंह को पूछताछ के घेरे में लिया गया। इस बीच मीडिया ट्रायल से बॉलीवुड की खूब बदनामी हुई। विवादों के चलते दीपिका के सभी ऐड का प्रसारण रोक दिया गया था।
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो आए दिन ड्रग एंगल में नए खुलासे कर रहा था। इस बीच कॉमेडियन भारती और उनके पति हर्ष लिंबाचिया के घर और दफ्तर पर NCB ने छापेमारी की, जहां गांजा बरामद होने पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। एक्टर अर्जुन रामपाल के घर पर भी छापा मारा गया। ड्रग मामले में एक्ट्रेस अबिगेल जैन और कोरियोग्राफर समन मोदी के भी ड्रग बेचने वालों से कनेक्शन होने की बात सामने आई।
सुशांत की मौत की जांच के दौरान NCB ने अलग-अलग लोगों और पैडलर से 8 किलो ड्रग्स बरामद की थी। सुशांत की मौत के बाद से ही नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने कई सेलेब्स को जांच के दायरे में लिया। 2021 में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कॉर्डेलिया क्रूज में चल रही ड्रग पार्टी से गिरफ्तार किया गया था। आर्यन को कई दिनों तक जेल में रखा गया था। इस दौरान शाहरुख के बायजूस ऐड पर रोक लगाई गई थी।