झारखंड के गढ़वा में मेढ़क-मेढ़की की अनोखी शादी, गांव वाले बने बाराती

जिले के मैराल थाने के बाना गांव में मेढ़क-मेढ़की की अनोखी शादी हुई। ग्रामीणों के अनुसार बाना गांव में 50 साल से अधिक समय से मेढ़क-मेढ़की की शादी कराई जा रही है। ग्रामीणो में ऐसी मान्यता है कि इससे इंद्रदेव खुश होते हैं और अच्छी बारिश होती है। जब बारात निकाली तो लगा किसी बड़े घराने के बेटे की बारात जा रही है। लेकिन डोली पर दूल्हा की जगह मेढ़क राजा बैठा हुआ था। पूरे रीति रिवाज से संपन्न कराए गए दुल्हा-दुल्हन बने मेढ़क-मेढ़की की शादी की सैकड़ों लोग गवाह बने। बारात में शामिल लोगों ने ईश्वर से इस शादी को सफल बनाने की प्रार्थना की।
ग्रामीणों के अनुसार वर्षा और सुख समृद्धि के लिए 1966 से हो रही है। ग्रामीणों के अनुसार अकाल से राहत पाने और गांव के सुख समृद्धि के लिए सबसे पहले साल 1966 में गांव के जमींदार महेश्वर नाथ सिंह ने गांव में मेढ़क-मेढ़की की शादी कराई थी। बताया जाता है कि उस शादी के बाद गांव में जमकर वर्षा हुई थी तथा लोगों को अकाल से राहत मिली थी। उसके बाद गांव में मेढ़क-मेढ़की की शादी का प्रचलन शुरू हो गया। जो आज तक जारी है। शादी को लेकर गांव के दुर्गा मंडप को आकर्षक रूप में सजाया गया था।
लड़का और लड़की पक्ष के रूप में ग्रामीण दो भागों में विभक्त थे। पंचायत के मुखिया विजय सिंह ने कहा कि उनके पूर्वज द्वारा शुरू किया गया यह प्रयोग आज इंद्रदेव को मनाने का पवित्र माध्यम बन चुका है। गांव के लोगों के लिए जीविका का साधन कृषि है। यहां का कृषि पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर होता है। यही कारण है कि हर साल इस शादी के माध्यम से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।