भारत रत्न और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) का 84 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. दिल्ली के आर्मी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में 7 दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. उनका मंगलवार को दिल्ली में दोपहर 2.30 बजे लोधी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए थे, जिनके लिए उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा. कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया. राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं. प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं. आर वेंकटरमण 1987 से लेकर 1992 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उन्होंने कुल 44 दया याचिकाएं खारिज कर थीं. उनके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ही नंबर आता है जिन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया. प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटिल ने सबसे ज्यादा 30 लोगों को फांसी के फंदे से बचाया था.