मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि आज जेल से बाहर आएंगे। दोनों गोरखपुर जेल में 20 साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। हालांकि, अब अमरमणि का समय से पहले ही रिहाई का शासनादेश जारी हो गया है। अमरमणि के अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने यह आदेश जारी किया है।
हालांकि, सजा काटने के दौरान अमरमणि त्रिपाठी ज्यादातर वक्त बीआरडी मेडिकल में भर्ती रहे। ऐसे में शासन ने उन्हें जेल से तो रिहा कर दिया। लेकिन, अब देखना है कि क्या इस रिहाई के साथ उनकी बीमारी भी ठीक होगी या फिर वे अभी भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होकर इलाज कराएंगे?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।
इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 वर्ष होने और करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए। जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक जाति मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया।
BRD के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद 17 नंबर का कमरा आ जाता है। क्योंकि 16 में लंबे वक्त से अमरमणि भर्ती रहा है।
चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी कहने को तो जेल में रहे। लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनका ज्यादातर वक्त गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कटा। जब से सजा हुई दोनों बीमार रहे और इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड की दूसरी मंजिल पर 32 कमरे हैं। इसमें ऊपरी हिस्से के 16 नंबर कमरे में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी एडमिट रहे हैं। 20 साल की सजा के दौरान ज्यादातर वक्त यही बीता है। वार्ड के सभी कमरों के ऊपर नंबर लिखा हुआ है। लेकिन कमरा नंबर 15 के बाद सीधे 17 नंबर का कमरा आ जाता है।
जिस कमरे में वह रहे हैं। उस पर 16 नंबर नहीं लिखा है। यह कमरा सीढ़ियों से सटा है। इसके बाहर हमेशा लोग रहते हैं। कमरे के बाहर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। इसके साथ ही अमरमणि के अपने आदमी भी रहते हैं। जो किसी भी आने-जाने वाले पर कड़ी निगाह रखते हैं।
वहीं, अमरमणि त्रिपाठी के मामले में जेल प्रशासन से लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ बोलने को तैयार नहीं होते। सवाल करने पर कहा जाता है कि बिना ऊपर से आदेश के हम कोई जानकारी नहीं दे सकते हैं।
अमरमणि की रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का वीडियो बयान सामने आया है। इसमें रिहाई पर रोक लगाने की मांग की है।
उधर, अमरमणि के रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का बयान सामने आया है। इसमें वह कह रही हैं, “राज्यपाल के आदेश पर मुझे बहुत हैरानी हुई। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल को 15 दिन से बराबर हम सूचना दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका स्वीकार हो चुकी है। 25 तारीख को 11 बजे सुनवाई है। मुझे लगता है कि राज्यपाल को भ्रमित कराकर रिहाई का आदेश करवाया गया है। मेरी प्रार्थना है कि हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश जब तक नहीं आता, तब तक रिहाई पर रोक लगा देनी चाहिए।”
अमरमणि 2001 में भाजपा सरकार में मंत्री रहे हैं। बाद में वह बसपा में आ गए और 2003 में वो बसपा सरकार में मंत्री थे।
कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक जीवन खत्म हो गया। लखीमपुर की कवयित्री मधुमिता वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं। अमरमणि संपर्क में आए तो उनका नाम बड़ा हो गया। मंच से मिली शोहरत और सत्ता से नजदीकी ने उन्हें पावरफुल बना दिया।
अमरमणि त्रिपाठी से उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गए। मधुमिता प्रेग्नेंट हो गई। उन पर गर्भपात करवाने का दबाव बढ़ा पर उन्होंने नहीं करवाया। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को 7 महीने की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड के वक्त बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे।
इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश में सियासी भूचाल आ गया। मधुमिता के परिवार की तरफ से दाखिल एफआईआर में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित मणि त्रिपाठी, संतोष राय और पवन पांडे को आरोपी बनाया गया। प्रदेश में बसपा सरकार थी और अमरमणि त्रिपाठी मंत्री थे। CBCID ने 20 दिन की जांच के बाद मामला CBI को सौंपा। गवाहों से पूछताछ हुई तो दो गवाहों ने बयान बदले थे।
अमरमणि को सजा दिलाने मधुमिता की बहन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। उन्होंने याचिका दायर करते हुए केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की। कोर्ट ने 2005 में कैसे उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया। 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सजा बरकरार रही
अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक करियर की शुरुआत विधायक हरीशंकर तिवारी के साथ हुई थी
चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता अमरमणि त्रिपाठी एक बार फिर से चर्चा में हैं। बस्ती जिले में चल रहे एक 22 साल पुराने मामले में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के हाजिर न होने पर कोर्ट ने सवाल किए हैं। बस्ती की MP-MLA कोर्ट के न्यायाधीश प्रमोद गिरी ने अमरमणि के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के लिए CMO गोरखपुर को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया है।