भारत के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे नटवर सिंह अब नहीं रहे। उनका शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 93 साल के थे। उनके निधन की खबर से सियासी गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है। पक्ष और विपक्ष से जुड़े तमाम नेता दुख व्यक्त कर रहे हैं। इसी क्रम में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके योगदान को याद किया और संवेदना जताई। वरिष्ठ राजनेता रणदीप सुरजेवाला ने एक्स पर एक पोस्ट में सिंह को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, ‘पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन का समाचार दुखद है। ईश्वर उनके परिजनों को यह क्षति सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को सदगति प्रदान करें।’
कुंवर नटवर सिंह. 10 जनपथ का सबसे बड़ा राजदार. सोनिया गांधी के सियासी गुरु. राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया को राजनीतिक दीक्षा देने, उनकी छवि गढ़ने के पीछे नटवर ही थे. 1984 में इंदिरा गांधी ने विदेश सेवा के इस अधिकारी की सियासत में एंट्री करवाई, लेकिन कांग्रेस में नटवर की असली पारी नब्बे के दशक में शुरू हुई. वह कांग्रेस में इतने खास होते चले गए कि उन्हीं के शब्दों में- ‘जो बातें राहुल-प्रियंका को भी नहीं बताई जाती थीं, वह सोनिया उनसे शेयर करती थीं.’
इस भरोसे की बड़ी वजह थी. राजीव की हत्या के बाद दरअसल सोनिया को ‘साोनिया गांधी’ बनाने का काम नटवर सिंह ने ही किया था. हिंदी सुधरवाने से लेकर, कांग्रेस में उठ रहे बगावत के भंवर से सोनिया को किनारे लगाने का काम कूटनीति के इस माहिर खिलाड़ी ने किया. इसका उन्हें इनाम भी मिला. यूपीए-1 की मनोहन सरकार में वह विदेश मंत्री बने. लेकिन 2005 में उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. वजह बनी ईरान से तेल के बदले अनाज कांड पर पोल वोल्कर कमिटी की रिपोर्ट, जिसमें उनका नाम भी शामिल था.
इसके बाद गांधी परिवार का यह सिपाही बागी हो गया. 10 जनपथ में बेरोक-टोक आने जाने वाले नटवर के कदम इसके बाद इस पते पर जीते जी कभी नहीं पड़े. आखिरी सांस तक नटवर के दिल में यह टीस रही. अपनी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’में नटवर ने यह बयां भी किया.किताब में ऐसे खुलासे कर डाले, जिसने बवंडर ला दिया. नटवर के सीने में गांधी परिवार के कितने गहरे राज दफन थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सालों से बंद बातचीत के बावजूद घबराई सोनिया-प्रियंका को नटवर के घर जाकर माफी मांगनी पड़ी थी.