विदेश नीति के मुद्दे राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते: विदेश मंत्रालय ?

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शुक्रवार को कहा कि विदेश नीति के मुद्दे राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते, यह बात उन रिपोर्टों के बाद कही गई है, जिनमें कहा गया है कि हाल ही में मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा की मौजूदगी में दो म्यांमारी विद्रोही समूहों ने विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, चिन राज्य के म्यांमार के जुंटा विरोधी समूहों – चिनलैंड काउंसिल (सीसी) और अंतरिम चिन राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (आईसीएनसीसी) ने आइजोल में विलय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने इस मामले पर कुछ रिपोर्ट देखी हैं। म्यांमार की स्थिति पर हमारा रुख सर्वविदित है।” अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मैं यह भी दोहराना चाहूंगा कि विदेश नीति के मुद्दे राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।”

भारत के साथ देश की सीमा के करीब के इलाकों में म्यांमार की सेना और विद्रोही बलों के बीच लड़ाई से उत्पन्न होने वाले सुरक्षा निहितार्थों को लेकर नई दिल्ली में चिंताएँ बढ़ रही हैं। भारत म्यांमार में लोकतंत्र की वापसी के लिए दबाव बना रहा है। म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

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