भारत और चीन जल्द ही सीमा विवाद को लेकर बातचीत करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा- सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच बातचीत रुकी नहीं है और जल्द ही दोनों देशों के बीच बैठक होगी। जयशंकर के मुताबिक, दोनों देशों के बीच पिछले 3 सालों में तनाव के मुद्दों पर स्थिति बेहतर हुई है।
विदेश मंत्री ने कहा- पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर किया है। इसमें चीन के साथ लगने वाली सीमा पर भी हालात सुधरे हैं। हम बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ भी अपनी कनेक्टीविटी बढ़ा रहे हैं। भूटान के साथ असम से रेलवे लाइन शुरू करने पर भी चर्चा जारी है। भूटान भी इसके लिए उत्साहित है।
जयशंकर ने कहा- नॉर्थ बॉर्डर पर बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों पर भारत की प्रतिक्रिया तय होगी। भूटान-चीन के रिश्तों को लेकर विदेश मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच 24 राउंड की बातचीत हो चुकी है। अभी और भी राउंड्स होंगे। हम इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद कब और कैसे खत्म होगा ये वही तय करेंगे।
हालांकि, म्यांमार के साथ बॉर्डर पर हालात को लेकर जयशंकर ने कहा- म्यांमार के साथ हालात अभी चुनौतीपूर्ण हैं। हम इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। सिटवे पोर्ट पर काम जारी है और हमें उम्मीद है कि इस साल हम कोस्टल शिपिंग एग्रीमेंट पूरा कर लेंगे। म्यांमार ट्राइलेट्रल हाईवे कानून और नियम की वजह से एक बड़ी चुनौती है। हम म्यांमार के अधिकारियों के साथ मिलकर इसे भी पूरा करने की कोशिश में लगे हैं।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी पर करीब 3 साल पहले 2020 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे।हालांकि, चीन इसे लगातार छिपाता रहा।
गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। साथ ही, इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था।