पड़ोसी देश भारत के साथ कुछ वर्षों से बिगड़े संबंधों को सुधारने के लिए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली तीन दिन के दौरे पर गुरुवार को भारत पहुंचे। 14 से 16 जनवरी तक के इस दौरे में वह नेपाल-भारत संयुक्त आयोग (जेसीएम) की छठी बैठक में हिस्सा लेंगे। अपनी यात्रा के दौरान वह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत करेंगे। आइए जानें दोनों देशों के बीच शुक्रवार से होने वाली बैठक में किन मसलों पर होगी बातचीत…
दोनों विदेश मंत्रालयों के अलग अलग बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि नेपाल के विदेश मंत्री भारत पहुंच चुके हैं। वह शुक्रवार को जेसीएम की छठी बैठक में हिस्सा लेंगे। आनलाइन ब्रीफिंग में उन्होंने कहा कि जेसीएम की बैठक और सीमा वार्ता के लिए अलग तंत्र है जबकि नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जीसीएम की बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा सीमा मुद्दे पर भी चर्चा होगी। भारत का कहना है कि सीमा मसलों पर उसकी स्थिति पहले से ही स्पष्ट है।
व्यापार, ऊर्जा, निवेश समेत अन्य क्षेत्र में सहयोग पर होगी चर्चा
श्रीवास्तव ने कहा कि हम विभिन्न मसलों पर परस्पर सहयोग के लिए रचनात्मक बातचीत की उम्मीद करते हैं। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि संयुक्त आयोग की बैठक में व्यापार, ऊर्जा, सीमा, बुनियादी संरचना, संपर्क, निवेश, कृषि, पर्यटन, संस्कृति तथा कोरोना महामारी पर सहयोग समेत अन्य विषयों पर नेपाल-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम पर चर्चा होगी।
बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा यह दौरा
ग्यावली भारत के उच्चस्तरीय पदाधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। उनके साथ स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय में सचिव लक्ष्मी आर्याल तथा विदेश सचिव भरत राज पौडयाल भी होंगे। गौरतलब है कि नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब नेपाल संसद भंग करने के बाद गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है।
बता दें कि पिछले साल भारत के कई हिस्सों को अपने नक्शे में शामिल करने के कारण उसके भारत से संबंध बेहद खराब और तनावपूर्ण हो गए थे। नेपाल से रिश्ते सुधारने को पिछले साल नवंबर में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, सेना प्रमुख एमएम नरवाने तथा भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल ने नेपाल का दौरा किया था।
ओली ने नया नक्शा जारी कर पैदा किया था विवाद
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले साल तीन भारतीय क्षेत्रों- लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को दर्शाने वाले नए राजनीतिक मानचित्र का प्रकाशन करके सीमा विवाद पैदा कर दिया था। इसके बाद ग्यावली भारत आने वाले नेपाल के सबसे वरिष्ठ राजनेता होंगे।
पिछले साल नेपाल ने जब नक्शा जारी किया तो भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और इसे एकतरफा कार्रवाई करार दिया था। भारत ने कड़े शब्दों में कहा था कि क्षेत्रीय दावों को कृत्रिम तरीके से विस्तार देना स्वीकार्य नहीं होगा। भारत ने कहा था कि नेपाल की एकतरफा कार्रवाई ने दोनों देशों के बीच सीमा संबंधी मुद्दों को बातचीत से सुलझाने के लिए बनी सहमति का उल्लंघन किया।