विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के संबंध में कुछ मशहूर हस्तियों की ओर से की गई टिप्पणियों पर विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त करने का एक कारण था। उन्होंने कहा कि टूलकिट केस ने काफी कुछ उजागर किया है और दिल्ली पुलिस इसकी जांच कर रही है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या सामने आता है।’
विदेश मंत्री ने कहा कि आप देख सकते हैं कि विदेश मंत्रालय ने ऐसे मामलों पर कुछ मशहूर हस्तियों के बयानों पर प्रतिक्रिया क्यों व्यक्त की। ये लोग स्पष्ट तौर पर भारत सरकार की कोशिशों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। विदेश मंत्रालय ने हफ्ते की शुरुआत में एक बयान जारी कर कहा था कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक चरित्र व व्यवस्था के संदर्भ में देखा जाना चाहिए और गतिरोध के समाधान की सरकार व प्रदर्शनकारियों की कोशिश को देखना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अपील है कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी से पहले तथ्यों को जांच लें और मुद्दों की उचित जानकारी हासिल कर लें। सनसनीखेज इंटरनेट मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों का लोभ खासकर जो मशहूर या अन्य हस्तियों ने किए हों, न ही उचित है और न ही जिम्मेदारीपूर्ण।
जयशंकर ने कहा कि शुरुआत में उठाए गए कदमों की वजह से देश का कोरोना वायरस से उबरना इस बात का पहला संकेत है कि आत्मनिर्भर भारत काम कर रहा था। जब कोरोना वायरस का संक्रमण फैला तो दुनिया के अन्य देशों की तरह यह देश भी तैयार नहीं था। हमारे पास अस्पताल और क्लीनिक थे, लेकिन किसी ने कोरोना वायरस के इलाज के बारे में नहीं सोचा था और किसी के पास इसके लिए समर्पित केंद्र नहीं थे।
जयशंकर ने कहा कि महामारी की शुरुआत में देश में कुछ ही लोग मास्क बनाते थे और किसी के पास पीपीई किट नहीं थी। लेकिन उसके कुछ ही महीनों बाद आज भारत पीपीई किट के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैं और मास्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। 25 कंपनियां वेंटीलेटर बना रही हैं जो न सिर्फ देश के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए वेंटीलेटर बना रही हैं। हमने कोरोना महामारी से निपटने के लिए 16 हजार केंद्र स्थापित किए। इसी का परिणाम है कि भारत उन देशों में शुमार है जहां मृत्युदर सबसे कम और रिकवरी रेट सबसे अधिक है।
विदेश मंत्री ने कहा कि आगामी वर्ष में भारत के 11 फीसद वृद्धि दर हासिल करने की संभावना है। इसके बजट में साफ संकेत दिए गए हैं।
चीन के साथ जारी तनाव पर जयशंकर ने कहा, ‘सैनिकों को पीछे हटाने की वार्ता बेहद जटिल मुद्दा है क्योंकि यह सैनिकों पर निर्भर है, आपको भौगोलिक स्थिति का ज्ञान होना चाहिए जैसे कौन सी पोजीशन है और क्या हो रहा है, लिहाजा इसे सैन्य कमांडर कर रहे हैं। वे अभी तक नौ दौर की बात कर चुके हैं। हम मानते हैं कि कुछ प्रगति हुई है, लेकिन यह स्थिति ऐसी नहीं है जहां जमीन पर कुछ दिखाई दे।’
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ