भारत किस मक़सद से अफ़ग़ानिस्तान पर रूस-ईरान के साथ कर रहा है बैठक

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अगुवाई में अफ़ग़ानिस्तान को लेकर दिल्ली में बुधवार को एक अहम बैठक हो रही है.

इस बैठक में भारत के अलावा रूस और ईरान समेत आठ देश हिस्सा ले रहे हैं.

ये तीसरी बार है जब एनएसए स्तर की ऐसी वार्ता आयोजित की जा रही है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि इससे पहले 2018 और 2019 में ईरान में इसके पहले दो संस्करणों का आयोजन किया जा चुका है.

हालांकि, इस बार बैठक का मुख्य एजेंडा अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर उपजे हालात पर चर्चा है.

इसमें उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल होंगे.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की इस वार्ता के लिए भारत ने मध्य एशियाई देशों समेत चीन और पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया था.

लेकिन पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार मोइद युसूफ़ ने बीते हफ़्ते इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया. फिर चीन ने भी शेड्यूल में आ रही दिक्कतों को लेकर इससे किनारा कर लिया.

इसके बाद भी इस मीटिंग को बहुत अहम माना जा रहा है.

मीटिंग में होंगे कई दिग्गज

इस बैठक में ईरान के रियर एडमिरल अली शामख़ानी, रूस के निकोलाइ पी पात्रुशेव, कज़ाकिस्तान के करीम मासिमोव, किर्गिस्तान के मरात मुकानोविच, ताजिकिस्तान के नसरुल्लो रहमतजो महमूदज़ोदा, तुर्कमेनिस्तान के सीके अमावोवो और उज़्बेकिस्तान के विक्टर मखमुदोव भाग लेंगे.

रूस पहले भी भारत को तालिबान के साथ बातचीत के लिए आमंत्रित कर चुका है. इस बैठक में रूस और ईरान के शामिल होने को अफ़ग़ानिस्तान पर सहयोगी देशों के बीच अहम रणनीति बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

यह पहली बार है जब न कि केवल अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी बल्कि मध्य एशिया के सभी प्रमुख देश इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. यह अफ़ग़ानिस्तान में शांति और सुरक्षा स्थापित करने के भारतीय प्रयासों की अहमियत को भी दर्शाता है.

अफ़ग़ानिस्तान पर फ़ोकस

इस बैठक को अफ़ग़ानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा संवाद (दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी ऑन अफ़ग़ानिस्तान) का नाम दिया है.

रिपोर्टों के मुताबिक उच्च स्तरीय वार्ता में अफ़ग़ानिस्तान में हाल के घटनाक्रम से उत्पन्न क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की जाएगी. साथ ही शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने का समर्थन किया जाएगा साथ ही वहां मानवीय सहायता को लेकर भी चर्चा की जाएगी. चर्चा इस बात पर भी हो सकती है कि वहां के लोगों को मानवीय सहायता कैसे पहुंचाई जाए.

बताया जा रहा है कि सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के साथ ही इस क्षेत्र में आतंकवाद, मादक पदार्थों की पैदावार और तस्करी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी.

बैठक में अमेरिका और उसके सहयोगियों के छोड़े गए हथियारों के संभावित इस्तेमाल से निपटने के क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी चर्चा होगी.

कुल मिलाकर इस क्षेत्र में एक साझा सुरक्षा नीति बनाने पर बात होगी.

पारंपरिक तौर पर भारत, अफ़ग़ानिस्तान के क़रीब रहा है. अफ़ग़ानिस्तान में उपजे ताज़ा हालात और इससे वहां की मानवीय चुनौतियों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एकमत समाधान को लेकर कोई उचित क़दम उठाने के इरादे से बैठक का आयोजन किया है.

पाकिस्तान, चीन ने की अनदेखी

बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित हो रही इस बैठक में भारत ने पाकिस्तान और चीन को भी आमंत्रित किया था. लेकिन पाकिस्तान ने बीते हफ़्ते ही इसमें आने से इनकार कर दिया था.

इस बैठक को लेकर अपने जवाब में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोइद युसूफ़ ने कहा था कि वो इसमें भाग नहीं लेगें. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि “शांति बिगाड़ने वाला शांतिदूत नहीं हो सकता”.

वहीं चीन ने बैठक के समय को कारण बताते हुए इस बैठक में शामिल होने से इनकार किया है. साथ ही उसने यह भी कहा कि वह द्विपक्षीय राजनयिक रास्तों के ज़रिए संपर्क और चर्चा के लिए तैयार है.

तालिबान नेताओं का पाकिस्तान दौरा

एक तरफ़ जहां भारत में अफ़ग़ानिस्तान के मामले पर सुरक्षा सलाहकारों की बुधवार से बैठक शुरू हो रही है, वहीं तालिबान शासन के विदेश मंत्री सीनियर प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्की ने कहा है कि विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुतक्क़ी के नेतृत्व में जा रहा प्रतिनिधिमंडल रिश्तों को और बेहतर बनाने, अर्थव्यवस्था, लोगों की आवाजाही के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने और शरणार्थियों के मामलों पर बातचीत करेगा.

अब्दुल क़हर बल्क़ी के ट्वीट के अनुसार प्रतिनिधिमंडल में तालिबान सरकार के वित्त और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे.

हालांकि पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामाबाद स्थित दूतावास में तालिबान द्वारा नियुक्त अधिकारी तैनात हैं.