कनाडा का भारत विरोधी खालिस्तानी आंदोलन ऑस्ट्रेलिया में भी हावी हो गया है। बढ़ते कट्टरवाद के कारण ऑस्ट्रेलिया में बसे शांतिपूर्ण भारतीय समुदाय में वैमनस्य बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया की लगभग ढाई करोड़ की आबादी में हिंदू और सिखों की संख्या लगभग 10 लाख है। वोट बैंक की राजनीति के चलते इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलिया की दोनों प्रमुख पार्टियां सत्तारूढ़ लेबर और विपक्षी लिबरल चुप्पी साधे हैं।
वोटों की खातिर इस शह से मंदिरों पर हमले के मामले थम नहीं रहे हैं। मेलबर्न के एक मंदिर पर गुरुवार को हमले की घटना हुई। 29 जनवरी को मेलबर्न में खालिस्तान की मांग को लेकर खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस की ओर से जनमत संग्रह की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर तनाव पैदा हाेने की आशंका है।
हिंदू काउंसिलिंग ऑस्ट्रेलिया के उपाध्यक्ष सुरिंदर जैन का कहना है कि पिछले 2-3 सालों से कुछ लोग ऑस्ट्रेलिया में हिंदू समुदाय में डर पैदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि कनाडा जैसे देशों में पनपे आंदोलनों को ऑस्ट्रेलिया में पनपने से रोकने के लिए सरकार की ओर से कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
मेलबर्न में दिसंबर, 2022 में कथित खालिस्तान जनमत संग्रह को लेकर रैली निकाली गई थी। दोनों समुदाय के लोग सड़कों पर आमने-सामने हुए थे।
फरवरी, 2021 में सिडनी में हिन्दू और सिख छात्रों में मारपीट हुई। पुलिस ने छात्र विशाल जूड़ को गिरफ्तार कर ऑस्ट्रेलिया से डिपोर्ट किया था।
किसान आंदोलन से सिडनी में तनाव हुआ था। कनाडा के कुछ संगठनों ने इसे भड़काया था।
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया सरकार के सामने खालिस्तानी संगठनों को लेकर चिंता जताई थी। साथ ही भारत विरोधी गतिविधियों पर प्रभावी रोक की मांग की गई थी। ऑस्ट्रेलिया की गृह मंत्री क्लैरे ओ नील से हाल में इस मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- हम किसी भी समुदाय के बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे। हम किसी भी आतंकी गतिविधि से निपटने में सक्षम है।
डेढ़ करोड़ वोटर्स में लगभग 10 लाख भारतीय हैं। भारतीयों की वयस्क आबादी ज्यादा है। भारतीयों का वोटिंग प्रतिशत लगभग शत-प्रतिशत रहता है।
यहां 6.84 लाख हिंदू और 2.10 लाख सिख हैं। निर्वाचन क्षेत्र छोटे हैं, हार-जीत का अंतर कम होता है। पार्टियां किसी समुदाय की नाराजगी से बचती हैं।