राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने के पहले प्रियंका गांधी वाड्रा राज्यों में मजबूती से उसके लिए माहौल बना रही हैं। ऐसा देखने में आया है कि जब-जब राहुल फंसते नजर आए प्रियंका उनके साथ खड़ी रहीं। नए अध्यक्ष के चुनाव के पहले राहुल-प्रियंका राज्यों में नेताओं के बीच चले आ रहे विवाद को समाप्त कर लेना चाहते हैं। भाई-बहन के फैसलों पर सोनिया गांधी भी मुहर लगा रही हैं।
इस साल सितंबर-अक्तूबर तक कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसलिए राज्यों में गुटबाजी को समाप्त करने की जिम्मेदारी राहुल समर्थकों को सौंपी जा रही है। पिछली बार राहुल ने अपनी टीम में अपने समर्थकों को जोड़ना शुरू किया तो वरिष्ठ नेताओं को अपनी अहमियत कम होती दिखने लगी और ग्रुप-23 की शक्ल में असंतुष्ट सामने आ गए।
राहुल की ताजपोशी के लिए कुछ महीनों में प्रियंका की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। यूपी में होने वाले सभी फैसले वे खुद लेती हैं। पंजाब में लंबी उठापटक के बाद अगर नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेदारी मिली है तो उसके पीछे प्रियंका ही हैं। राजस्थान कांग्रेस के विवाद का समाधान खोजने में भी अब प्रियंका तौर पर जुड़ गई हैं।
सचिन पायलट से लगातार संपर्क हैं और उनकी चिंताओं और मांगों पर आश्वासन दे चुकी हैं। सूत्रों की मानें तो राजस्थान की गुत्थी सुलझाने के लिए भी फार्मूला तैयार है। जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष के साथ बैठक होनी है। राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट दोनों को ही राहुल कैंप का माना जाता है इसलिए समाधान निकालने में पंजाब जैसी संभावना नहीं है। उधर कर्नाटक कांग्रेस का विवाद भी भाई-बहन ने सुलझा लिया है। पिछले हफ्ते सिद्धारमैया और अध्यक्ष डीके शिवकुमार को एक साथ दिल्ली बुलाकर आमने-सामने बैठाकर राहुल ने बातचीत की। उत्तराखंड को लेकर भी लंबे समय तक उलझा फैसला राहुल के हस्तक्षेप के बाद पटरी पर दिख रहा है।