पाकिस्तान की आर्थिक सेहत को दुरुस्त करने के इमरान खान के तमाम उपाय धराशाई हो चुके हैं। मौजूदा वक्त में खाद्य पदार्थों की आसमान छू रही कीमतों के खिलाफ देश भर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच पाकिस्तान एक नए संकट में घिर गया है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गेहूं के आटे की किल्लत पैदा हो गई है। खाद्य विभाग ने बताया है कि प्रांत के अधिकांश जिलों में भंडार खत्म हो गया है और नई फसल आने में अभी चार से पांच महीने की देरी है।
प्रति एकड़ गेहूं उत्पादन बढ़ाने में विफलता, गेहूं खरीद में सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार, प्रबंधन एवं भंडारण में कमी ने देश में आटे की किल्लत पैदा कर दी है। अन्य जिलों से गेंहूं की सरकारी खरीद के कारण किराया खर्च बढ़ जाने से फ्लोर मिल मालिक अपनी मिलों को बंद कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रकबा बढ़ाए और किसानों को रियायत दिए बगैर देश के लिए आटा संकट से उबरना संभव नहीं है। इसके अलावा भंडारण के लिए होने वाली खरीद में भ्रष्टाचार और खाद्य विभाग के अन्य खर्चे भी गेहूं की कमी के लिए जिम्मेदार हैं।
आलम यह है कि पिछले साल की तरह इस बार भी आटा मिल मालिक अपनी मिलों को बंद कर रहे हैं। उनका कहना है कि गेहूं की किल्लत के चलते उनको दूसरे जिलों से सरकारी गेहूं की खरीद करनी पड़ रही है जिसकी वजह से माल भाड़े के तौर पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को सब्सिडी दिए बिना आटा संकट से उबरना संभव नहीं है। गेहूं के भंडारण के लिए खाद्य विभाग की ओर से की जा रही बोरियों की खरीद एवं अन्य खर्चों में भी भ्रष्टाचार है।
पाकिस्तान में गहराए इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (United Nations Food and Agriculture Organization), विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक कई वर्षों से इमरान खान की सरकार को प्रस्ताव दे रहे हैं कि खाद्य और बाजार समितियों को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि ये राष्ट्रीय खजाने पर बोझ बन गए हैं। दूसरी ओर इमरान खान की सरकार का देश के कारोबारियों पर भरोसा डिगता नजर आ रहा है। इमरान खान ने कहा है कि उनकी सरकार पाकिस्तान में चीनी कारोबारियों और व्यवसायों का समर्थन करेगी।