आप इसे सौभाग्य कह सकते हैं, लेकिन खाड़ी के देशों में रहने वाले दो भारतीय इसे ईश्वर की मर्जी मान रहे हैं। इन दोनों को भी कोझिकोड में हादसे का शिकार हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमान से भारत लौटना था। लेकिन पांच सौ दिरहम के चलते वे विमान में सवार नहीं हो सके।
शरजाह के एक स्कूल में काम करने वाले नौफल मोइन वेत्तन ने भारत लौटने के लिए इस विमान में टिकट बुक कराया था। केरल के मलप्पुरम के तिरुनवाया निवासी वेत्तन को विमान में सवार होने के लिए बोर्डिग पास भी मिल गया था। लेकिन दुबई एयरपोर्ट पर जब वह इमिग्रेशन काउंटर पर पहुंचा तो पता चला कि उसका वर्क वीजा एक हफ्ते पहले ही रद हो चुका है। अधिक समय तक रहने के लिए उस पर एक हजार दिरहम (20,430) का जुर्माना लगाया है, लेकिन उसके पास मात्र पांच सौ दिरहम (10,215) ही थे। उसने अपने स्कूल के पीआरओ को फोन किया, जहां से उसे वापस लौट आने को कहा गया।
इसी तरह अबु धाबी में रहने वाले अफजल परकोदन का वर्क वीजा भी एक हफ्ते पहले रद हो गया था। जब वह हवाई अड्डा पहुंचा तो इमिग्रेशन विभाग के अधिकारियों ने उसे भी एक हजार दिरहम फाइन देने को कहा। उसके पास भी मात्र पांच सौ दिरहम ही थे और इस तरह वह भी विमान में सवार नहीं हो सका।
अफजल ने कहा कि वह अपने घर लौटने को लेकर बहुत उत्साहित था। उसने हवाई अड्डे से ही अपने एक मित्र को पांच सौ दिरहम लाने के लिए फोन किया। उसका मित्र हवाई अड्डे पर पहुंच भी गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उसके सामान को विमान से उतार दिया गया था और विमान का दरवाजा भी बंद हो गया था।
वेत्तन और अफजल दोनों ही घर नहीं लौट पाने की वजह से बहुत दुखी थे। दोनों ने ही अपने घरवालों को फोन कर नहीं आने की सूचना दे दी थी। लेकिन जब उन्हें विमान हादसे की सूचना मिली तो ईश्वर का आभार जताते नहीं थक रहे। हालांकि, उन्हें हादसे में दूसरे लोगों के मारे जाने का बहुत गम भी है।