एडमिशन में हुए घोटाले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आयुष कॉलेजों में एडमिशन में हुए घोटाले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज होने के बाद एसटीएफ ने आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह समेत 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में पूर्व मंत्री समेत इस विभाग से जुड़े कर्मचारियों के नाम सामने आए थे।
ईडी के सूत्रों के मुताबिक इस घोटाले से जुड़े सभी लोगों को जल्द ही नोटिस जारी कर पूछताछ की जाएगी। ईडी इसकी जानकारी एकत्र कर रहा था। मामले का खुलासा होने पर आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह ने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसकी जांच एसटीएफ कर रही है।
बताया जा रहा है कि ईडी की जांच में आरोपियों के पास अकूत संपत्ति के इनपुट मिलने के बाद ही इस मामले में मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में गिरफ्तार आयुर्वेद निदेशक एसएन सिंह जमानत पर हैं। एसटीएफ जांच में दो दर्जन से अधिक कालेजों में 800 फर्जी दाखिले होने की पुष्टि हुई थी।
ईडी सूत्रों के मुताबिक यूपी के आयुष कॉलेजों में बिना नीट परीक्षा के फर्जी दस्तावेजों से 982 छात्रों को प्रवेश मामले में एसटीएफ की चार्ज शीट में पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी की का भी एक आरोपी के बयान से नाम आया था।
उनके पीए ने कॉलेजों में यूजी और पीजी मान्यता की मंजूरी के लिए मिली घूस का 1.60 करोड़ का बड़ा हिस्सा पूर्व मंत्री को देने की बात कही थी। इसके चलते उनसे भी पूछताछ के लिए पर्याप्त सबूतों के आधार पर इस मामले में जरूरत पड़ने पर पूछताछ की जा सकती है।
एसटीएफ ने पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी के निजी सचिव राज कुमार का मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवाया था। जिसमें दिवाकर ने 164 के बयान में पूर्व मंत्री के रिश्वत लिए जाने की बात कही। जिसके बाद पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी को एसटीएफ ने सीआरपीसी-91 के तहत नोटिस भेजा था। इसके बाद सैनी की ओर से अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
एसटीएफ ने इस मामले में पूर्व आयुर्वेद निदेशक सत्यनारायण सिंह, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा आयुर्वेद निदेशालय डॉ. उमाकांत, वरिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय राजेश सिंह और कनिष्ठ सहायक कैलाश चंद्र भाष्कर के खिलाफ भ्रष्टाचार, आईटी एक्ट, धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश करने समेत अन्य धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी।
वहीं कुलदीप वर्मा, अपट्रोन पावर ट्रॉनिक्स के एजीएम प्रबोध सिंह, रिमार्क टेक्नोलॉजी के पार्टनर रूपेश रंजन पांडेय, पार्टनर इंद्रदेव मिश्र, टेक्नेशियन आईटी सॉल्यूशन निदेशक सौरभ मौर्य, निदेशक हर्षवर्धन तिवारी उर्फ सोनल, वीथ्री साफ्ट सॉल्यूशन निदेशक गौरव , अपट्रान पॉवर के तकनीकी सहायक रूपेश, विजय यादव, धर्मेंद्र यादव और आलोक त्रिवेदी के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना साजिश और आईटी एक्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।