वित्त मंत्री ने शाहजहांपुर में सबसे पहले वोट डाला, अलीगढ़ के मतदान केंद्र पर EVM में आई खराबी

नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण के 9 मंडलों के 38 जिलों में सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गई। शाहजहांपुर में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रताप इंक्लेव स्थिति बूथ पर सुबह 7 बजे पहला वोट डाला। इस दौरान उन्होंने कहा कि विकास और सुशासन के मुद्दे को लेकर वोट डाला है। पहली बार नगर निगम का चुनाव हो रहा है। सभी सीटों पर भाजपा की बड़ी जीत होगी।

इधर अलीगढ़ के एक मतदान केंद्र पर EVM मशीन में खराबी आ गई है। जिसके चलते मतदान रुका हुआ है। यहां से भाजपा के मेयर प्रत्याशी प्रशांत सिंघल ने अपने पूरे परिवार के साथ किया मतदान। उन्होंने नारा दिया कि पहले मतदान फिर जलपान। महापौर और पार्षद पद के लिए EVM से मतदान हो रहा, जबकि अन्य पदों के लिए बैलेट पेपर से वोटिंग हो रही है।
कुल 3,459 पदों के लिए 39,146 उम्मीदवार मैदान में हैं। 1.92 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इस बार 20 लाख से ज्यादा नए वोटर्स हैं। 38 जिलों में 7 महापौर, 581 नगर निगम वार्ड, 95 नगर पालिका परिषद, 2520 नगर पालिका परिषद सदस्य, 276 नगर पंचायतों के अध्यक्ष और 3459 नगर पंचायत वार्ड समेत कुल 370 नगरीय निकाय और 6636 वार्ड सहित कुल 7006 पदों पर वोटिंग होनी है। वोटिंग शाम 6 बजे तक होगी।

गाजियाबाद के भागीरथ पब्लिक स्कूल मतदान केंद्र के बूथ नंबर 929 पर मतदान शुरू नहीं हो सका है। यहां EVM खराबी आ गई है। दूसरी मशीन मंगवाई गई है। इसी मतदान केंद्र के बूथ नंबर 927 पर राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप ने वोट डाला।
वोटर आईडी कार्ड लेकर आए मतदाताओं का लिस्ट में नाम न होने की वजह से वोट नहीं डाल पाए। वहीं कुछ मतदाताओं के घर पर पर्ची नहीं पहुंची। जिस कारण उन्हें वोट नहीं डालने दिया गया। इससे नाराज मतदाता वापस चले गए।
निकाय चुनाव में 12,103 इंस्पेक्टर की तैनाती की गई है। 57,201 सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी लगाई गई है। इनके साथ कॉन्स्टेबल-हेड कॉन्स्टेबल 40525, होमगार्ड्स 76 कंपनी, 2 प्लाटून पीएसी, 35 कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स और 7935 ट्रेनी दरोगाओं को भी चुनाव ड्यूटी में लगाया गया है।
मेरठ नगर निगम चुनाव के लिए कुल 15 मेयर प्रत्याशी मैदान में हैं। जहां भाजपा ने पूर्व मेयर हरिकांत आहलूवालिया पर भरोसा जताया है। वहीं सपा से सीमा प्रधान, बसपा से हसमत मलिक और कांग्रेस से नसीम कुरैशी और आप से रिचा सिंह मैदान में हैं। लेकिन, मेरठ की सीट पर मुकाबला साफ तौर पर भाजपा और सपा में देखने को मिल रहा है।
2017 में अलीगढ़ मेयर सीट पर बसपा ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। इस बार भाजपा का मुकाबला साफ तौर पर बसपा से देखने को मिल रहा है। अलीगढ़ सीट पर सपा और बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी को सीट मिली है, तो वहीं भाजपा से वैश्य समाज से आने वाले प्रत्याशी प्रशांत सिंघल को जगह दी गई है। इस सीट पर बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में सलमान शाहिद को और सपा ने हाजी जमीरउल्लाह को मैदान में उतारा है।

अयोध्या: अयोध्या में मेयर पद के लिए कुल 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। अयोध्या भाजपा का गढ़ माना जाता है यही कारण है कि इस बार अयोध्या से भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी गिरीशपति त्रिपाठी पर विश्वास जताया है। वहीं समाजवादी पार्टी से आशीष पांडे और बसपा से राममूर्ति यादव तो कांग्रेस से प्रमिला राजपूत और आम आदमी पार्टी से कुलभूषण साहू को मैदान में उतारा गया है।शाहजहांपुर: शाहजहांपुर में पहली बार नगर निगम चुनाव हो रहे हैं। शाहजहांपुर वही क्षेत्र है, जहां से सपा की घोषित प्रत्याशी अर्चना वर्मा ने अचानक भाजपा का दामन थाम लिया। इसके बाद सपा ने माला राठौर को मेयर पद के लिए प्रत्याशी बनाया। माला राठौर के ससुर सर्वेश राठौर सपा के पूर्व नगर विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष रह चुके हैं।

कानपुर: मेयर पद पर भाजपा 3 बार से जीत हासिल कर चुकी है। यह चौथी बार है जब जीत पाने के लिए भाजपा ने प्रमिला पांडे को टिकट दिया है और मुकाबला सपा के विधायक अमिताभ बाजपेई की पत्नी वंदना बाजपेई के बीच है।
गाजियाबाद में इस बार भाजपा ने सुनीता दयाल को मेयर का प्रत्याशी बनाया है। साल 2017 के मेयर चुनाव में भाजपा प्रत्याशी आशा शर्मा करीब 1 लाख 65 हजार वोटों से जीती थी। गाजियाबाद का शहरी वोटर भाजपा का बेस वोटर माना जाता है। इसलिए भाजपा के लोग अपने प्रत्याशी की जीत एकतरफा होने का दावा कर रहे हैं। अब वे सिर्फ इस बात के आकलन में जुटे हैं कि लीड वोटों का अंतर कितना बड़ा हो सकता है। भाजपा वाले जीत को लेकर इसलिए भी आश्वस्त हैं, क्योंकि नगर निगम बनने से आज तक इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है।
बरेली में महापौर पद के लिए भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार में कड़ी मशक्कत है। भाजपा ने यहां निवर्तमान मेयर डॉ उमेश गौतम को दूसरी बार प्रत्याशी बनाया है। उमेश गौतम 2017 में भी भाजपा के टिकट पर पहली बार मेयर बने थे। वहीं सपा का महापौर पद पर कोई प्रत्याशी नहीं है। सपा प्रत्याशी संजीव सक्सेना ने नामांकन वापस ले लिया था। अब सपा निर्दलीय उम्मीदवार डॉ आईएस तोमर को समर्थन कर रही है। डॉ तोमर 2000 में निर्दलीय और 2012 में सपा के टिकट पर महापौर बन चुके हैं। यहां 40 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं। बसपा और कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है। ऐसे में भाजपा के उमेश गौतम और डॉ तोमर में ही नजदीकी चुनाव माना रहा है। पिछले 35 सालों में 10 बार में से 6 बार भाजपा, एक बार कांग्रेस, एक बार सपा की जीत हुई है।
कानपुर में भाजपा, सपा और कांग्रेस ने तीनों ही दलों ने ब्राह्मण प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। सीधी टक्कर भाजपा की प्रमिला पांडेय और सपा की वंदना बाजपेई के बीच देखी जा रही है। कानपुर में ब्राह्मण मतदाता ही निर्णायक है। ऐसे में ये दिलचस्प होगा कि ब्राह्मण मतदाता किसके पक्ष में ज्यादा वोट करेगा। 2017 के निकाय चुनाव में भाजपा से प्रमिला पांडेय ने करीब सवा लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस दूसरे और सपा तीसरे नंबर पर थी। लेकिन इस बार मतदाता पूरी तरह साइलेंट है। कानपुर में इस बार देखें तो त्रिकोणीय मुकाबला है।

अयोध्या में भाजपा और सपा की सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। शुरुआत में भाजपा प्रत्याशी को लेकर कार्यकर्ताओं में काफी असंतोष देखने को मिला। प्रदेश के प्रभारी राधा मोहन सिंह ने बैठक बुलाकर सबको संतुष्ट करने का काम किया। अयोध्या भाजपा का पहले से ही गढ़ रहा है। यही नहीं, यहां सांसद और विधायक भी भाजपा से ही हैं।
मेरठ नगर निगम चुनाव के लिए कुल 15 मेयर प्रत्याशी मैदान में हैं। जहां भाजपा ने पूर्व मेयर हरिकांत आहलूवालिया पर भरोसा जताया है। वहीं सपा से सीमा प्रधान, बसपा से हसमत मलिक और कांग्रेस से नसीम कुरैशी और आप से रिचा सिंह मैदान में हैं। लेकिन, मेरठ की सीट पर मुकाबला साफ तौर पर भाजपा और सपा में देखने को मिल रहा है।शाहजहांपुर में पहली बार नगर निगम चुनाव हो रहे हैं। शाहजहांपुर वहीं क्षेत्र है, जहां से सपा की घोषित प्रत्याशी अर्चना वर्मा ने अचानक भाजपा का दामन थाम लिया। शाहजहांपुर में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद और सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर की साख दांव पर लगी हुई है।
2017 में अलीगढ़ मेयर सीट पर बसपा ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। इस बार भाजपा का मुकाबला साफ तौर पर बसपा से देखने को मिल रहा है। अलीगढ़ सीट पर सपा और बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी को सीट मिली है, तो वहीं भाजपा से वैश्य समाज से आने वाले प्रत्याशी को जगह दी गई है। अलीगढ़ सीट पर उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, राजस्व राज्य मंत्री अनूप प्रधान समय अलीगढ़ हाथरस एटा के सांसद और जिले के MLC और विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है
यूपी निकाय चुनाव को BJP ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। सोमवार को दूसरे चरण का प्रचार थमने से पहले सीएम योगी ने 22 जनसभाएं की। मेयर, चेयरमैन और पार्षदों के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। दोनों डिप्टी सीएम, केंद्रीय और राज्य मंत्री सड़कों पर पब्लिक के बीच नजर आए। विपक्ष की बात करें, तो सपा से अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल और चाचा शिवपाल यादव ने जनसभाएं कीं। वहीं, बसपा और कांग्रेस के बड़े चेहरे पब्लिक के बीच नजर नहीं आए।
प्रथम चरण – सहारनपुर, शामली, अमरोहा, बरेली, उन्नाव, लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महाराजगंज, देवरिया, कुशीनगर , मुरादाबाद ,प्रतापगढ़, जौनपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, झांसी, वाराणसी।
दूसरा चरण – संतकबीर नगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, सुलतानपुर, अयोध्या, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, अलीगढ़, बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, मिर्जापुर, कानपुर, बांदा, चित्रकूट।
निकाय चुनाव के पहले चरण में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सिर्फ ट्विटर के जरिए ही अपने वोटरों को संदेश दिया। उन्होंने कहा, ”बीजेपी-सपा के बहकावे में न आएं।” वहीं, कांग्रेस ने सभी नगर निगम में अपने प्रत्याशी तो खड़े किए। मगर किसी दिग्गज नेता की जनसभा नहीं हुई। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वैसे तो यूपी से जुड़े मुद्दों को लेकर काफी मुखर रहती हैं, लेकिन निकाय चुनाव में वो भी मैदान से बाहर रहीं।