पंजाब की रोपड़ जेल से मुख्तार अंसारी के लेने गई यूपी पुलिस की टीम आखिरकार 900 किमी का सफर तय करके बुधवार तड़के 4.30 बजे बांदा जेल पहुंच गई। यहां मुख्तार को 15 नंबर की बैरक में रखा जाएगा। सीओ सदर सत्यप्रकाश ने बताया कि हमे अंसारी को बांदा जेल लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हम बसपा विधायक को एंबुलेंस में लेकर आज तड़के आए हैं।
मुख्तार अंसारी को लेकर बांदा जेल में चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात है। जेल की हर दीवार पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। सुरक्षा ऐसी है कि परिंदा भी पर न मार सके।
बताते चलें कि पंजाब की रोपड़ जेल बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को खूब रास आई। वह यहां पर अपने आपको पूरी तरह सुरक्षित समझता था। यहां से यूपी नहीं जाना चाहता था। दो साल में आठ बार यूपी पुलिस उसे लेने रोपड़ भी पहुंची लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने सौंपने से इनकार कर दिया था।
पंजाब पुलिस हर बार डॉक्टर की सलाह का हवाला देती रही कि अंसारी को डिप्रेशन, शुगर, रीढ़ से संबंधित बीमारियां हैं। ऐसे में उसे कहीं और शिफ्ट करना ठीक नहीं है। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो पंजाब सरकार ने आरोपी को पंजाब की जेल में रखने के लिए कई तर्क रखे लेकिन वे सब विफल रहे। 21 जनवरी 2019 को मोहाली पुलिस बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को रियल एस्टेट कारोबारी से रंगदारी मांगने के आरोप में यूपी से प्रोडक्शन वारंट पर लाई थी।
25 जनवरी 2019 से आरोपी रोपड़ जेल में बंद था। करीब 26 महीने में यूपी में चल रहे 54 केसों की सुनवाई हुई लेकिन हर बार सुनवाई टली। वह एक बार भी अदालत में पेश नहीं हुआ था। हालांकि वह इलाज के लिए आता जाता रहता था। अंसारी आखिर तक रोपड़ जेल से जाना नहीं चाहता था। आरोपी पर चालान पेश होने के बाद उसके वकील ने एक याचिका अदालत में दायर की थी।
साथ ही उसकी खराब सेहत का हवाला देते हुए मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की थी। अंसारी के वकीलों ने अदालत में कहा कि उसे दो बार दिल का दौरा पड़ चुका है और उसकी सेहत ठीक नहीं है। पिछले साल 29 मार्च को उसकी सेहत खराब होने के बाद से उसके सीने में दर्द है। वकीलों ने अपनी दलील में कहा कि सही स्वास्थ्य सहायता न मिलने पर अंसारी की मौत भी हो सकती है।
अंसारी के वकील ने स्वास्थ्य सहायता के लिए रोपड़ के जेल अधीक्षक से जवाब तलब करने की मांग भी की थी। अंसारी के वकील की दलील सुनने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित बख्शी की अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि कोई ताजा चिकित्सा मुद्दा सामने नहीं आया है, लिहाजा उपचार के लिए अलग से बोर्ड गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।