नॉर्थ अफ्रीकी देश सूडान में पिछले 3 महीनों से मिलिट्री और पैरामिलिट्री फोर्स में लड़ाई जारी है। राजधानी खार्तुम के पास ओमडुरमैन शहर में शनिवार को हवाई हमले किए गए। इसमें 22 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं। अल जजीरा के मुताबिक ये अटैक शहरी इलाके में हुआ अब तक का सबसे खतरनाक हमला है।
पैरामिलिट्री फोर्स RSF ने सूडान मिलिट्री फोर्स को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। RSF के मुताबिक इस हमले में 31 आम नागरिकों की मौत हुई है। सेना ने रेसिडेंशियल इलाके को निशाना बनाया। उन्होंने कहा- सूडान की आर्मी जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान आतंकी हमला करवाकर देश की जनता को निशाना बना रहे हैं।
वहीं क्षेत्र में रहने वाले एक शख्स ने कहा- ये बता पाना मुश्किल है कि हमला किसने किया। कई दिनों से मिलिट्री अपने एयरक्राफ्ट्स से RSF को इस क्षेत्र में निशाना बना रही है। वहीं RSF भी लगातार उन पर ड्रोन अटैक कर रही है।
शनिवार को एयर-रेड से पहले मिलिट्री ने शहर में RSF के कई ठिकानों पर हमला किया था। इससे बचने के लिए RSF के लड़ाकों ने आम नागरिकों के घर में पनाह ली थी। RSF ने एंटी-एयरक्राफ्ट्स से वॉरप्लेन पर जवाबी हमले भी किए थे। वहीं इस अटैक को लेकर सूडान मिलिट्री की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
पिछले कुछ दिनों से आर्मी-पैरामिलिट्री ओमडुरमैन शहर में लड़ रहे हैं। दरअसल, इस शहर का पश्चिमी इलाका RSF के लिए एक बड़ा सप्लाई रूट है। यहीं से वो डार्फर में अपने पावर बेस तक पहुंच सकता है। सूडान की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, 15 अप्रैल से जारी इस लड़ाई में अब तक 1133 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं करीब 30 लाख लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं। इनमें से करीब 7 लाख लोग आसपास के देशों में रह रहे हैं।
UN एसेंजी के मुताबिक, 3 महीने से जारी लड़ाई के बीच कई महिलाओं के साथ रेप और छोटी बच्चियों को किडनैप करने के भी मामले सामने आए हैं। वहीं, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों ने कई बार दोनों फोर्सेज के बीच सीजफायर कराने की भी कोशिश की लेकिन वो कामयाब न हो सके।
2000 के दशक में सूडान के पश्चिमी इलाके डार्फर में विद्रोह शुरू हो गया था। इससे निपटने के लिए सेना ने जंजावीद मिलिशिया की मदद ली। ये मिलशिया ही आगे चलकर रेपिड सपोर्ट फोर्स में बदल गया और अलग-अलग मिशन में सेना की मदद करने लगा।
डार्फर इलाके में हुआ विद्रोह सबसे जानलेवा विद्रोह में शामिल है। 2003 से 2008 के बीच इस लड़ाई में 3 लाख लोगों की जान गई। वहीं, 20 लाख से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने 2009 में इस मामले में सूडान के तानाशाह ओमार हसन अल बशीर पर मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के आरोप लगाए थे।
तानाशाह अल बशीर ने डार्फर विद्रोह कुचलने में मदद करने वाले जंजावीद लड़ाकों को सरकारी दर्जा देना चाहता था। इसके चलते 2013 में इसे RSF में बदल दिया गया।
सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोगों ने प्रदर्शन किया।
अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर देश में तख्तापलट कर दिया, लेकिन इसके बाद लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे।
इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया।
आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है।
सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने हैं। RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है, जबकि आर्मी का कहना है कि ये 2 साल में ही लागू हो जाना चाहिए।