राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को कहा कि मौजूदा वक्त में ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। ऐसे मुद्दों का एक इतिहास है जिसको बदला नहीं जा सकता है। इस इतिहास को हमने नहीं बनाया… इसे ना तो आज के हिंदुओं ने बनाया ना ही आज के मुसलमानों ने… यह तब घटा जब भारत में इस्लाम आक्रांताओं के साथ आया। उन हमलों में भारत की स्वतंत्रता चाहने वालों का मनोबल खंडित करने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया… ऐसी घटनाएं हजारों हैं।
भागवत ने नागपुर में तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग शिविर के समापन के अवसर पर संबोधन में कहा कि हिंदू समाज की जिन मसलों पर विशेष श्रद्धा है.. ऐसे कुछ मुद्दे उठते हैं। इससे यह नहीं समझा जाना चाहिए कि हिंदू मुसलमानों के विरुद्ध सोचते हैं। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिंदू थे। उनको स्वतंत्रता से चिरकाल तक वंचित रखने के लिए… उनका मनोधैर्य तोड़ने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। इसलिए हिंदू समाज को लगता है कि इन देवस्थानों का पुनरुद्धार होना चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी को लेकर मुसलमानों का विरोध नहीं किया जा रहा है। हम तो इस मामले में कुछ नहीं कह रहे हैं। हमने नौ नवंबर (2019) को कह दिया था कि एक राममंदिर का मुद्दा था जिसमें हमने अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी एतिहासिक कारण वश आंदोलन में शामिल हुए। हमने उस काम को पूरा किया। अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है, लेकिन यदि कुछ मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। यह किसी के विरुद्ध नहीं है। इसे किसी के खिलाफ नहीं मानना चाहिए।
संघ प्रमुख (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि यह अच्छी बात होगी कि ऐसे मसलों पर मिल बैठ कर सहमति से कोई रास्ता निकाल लिया जाए। लेकिन, हर बार ऐसा रास्ता नहीं निकल सकता है। इसी वजह से लोग अदालत में जाते हैं। ऐसे में अदालत जो फैसला दे उसको मानना चाहिए। अपनी संविधान सम्मत न्याय व्यवस्था को पवित्र और सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसके निर्णय का पालन करना चाहिए। हम सबको अदालतों के फैसलों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाना चाहिए
भागवत ने यह भी नसीहत दी कि रोज इस तरह का मामला सामने नहीं लाना नहीं चाहिए। हमें झगड़ा क्यों बढ़ाना… हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? भले ही बाहर से आई है लेकिन वह (इस्लाम) भी एक पूजा पद्धति है। हम इसका सम्मान करते हैं लेकिन जिन्होंने वह पूजा पद्धति (इस्लाम) अपनाई है, वे (मुस्लिम) बाहर से संबद्ध नहीं रखते हैं। यह उनको भी समझना चाहिए। भले ही उनकी (मुस्लिमों की) पूजा उधर (बाहर) की है लेकिन वे हमारे राजाओं, ऋषि मुनियों के ही वंशज हैं।
भागवत ने कहा कि भारत माता की जय बोलने के लिए हमें किसी को जीतना नहीं है, बल्कि सबको जोड़ना है। भारत प्राचीन काल से ही सबको जोड़ने के लिए काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि बिना शक्ति के कुछ नहीं होता है। हम किसी को जीतना नहीं चाहते, लेकिन कुछ दुष्ट लोग हमको जीतना चाहते हैं। इसलिए हमें शक्ति की उपासना करनी होगी। भागवत शुक्रवार को आरएसएस के नागपुर में पिछले 25 दिनों से चल रहे तृतीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे।
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में यूक्रेन युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि भारत सत्य बोल रहा है और संतुलित नीति अपना रहा है। यदि भारत शक्तिशाली होता तो युद्ध रोक सकता था। हम शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि चीन क्यों नहीं इस युद्ध को रोक रहा है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस युद्ध ने सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियां बढ़ा दी है।