अपनी पहली पुस्तक “भटका मुसाफिर” से लोकप्रिय हुए युवा लेखक अंकित मौर्य के द्वारा लिखित उनकी दूसरी पुस्तक “अल्फ़ाज़ मौन के” फिलहाल सोशल मीडिया व लेखन क्षेत्र में चर्चा का विषय बन रही हैं। इस पुस्तक में अंकित ने राजनीतिक, सामाजिक व मानवीय जीवन के विविध पहलुओं को कहानी, कविता, शायरी के माध्यम से बडे़ ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया हैं। पुस्तक के बारे में बात करते हुए अंकित ने बताया की “धीमे धीमे हम उस दौर की तरफ बढ़ रहें हैं जहां भावनाएं खत्म हो रही हैं और सोशलमीडिया हमारी नयी दुनिया बन रही हैं, आज कल ज्यादातर लोग सिर्फ और सिर्फ सोशलमीडिया के लिए जी रहे हैं और वहां पर अपनी जीवन को जितना खुशहाल, जितना भव्य दिखा सकते हैं उसकी पुरी कोशिश कर रहें हैं, जिसकी वजह से वो अपने स्वंय के व्यक्तित्व से दूर हो रहें हैं जो चिंता का विषय हैं। आज भी बहुत से ऐसे लोग, ऐसे वर्ग हैं जो कहना बहुत कुछ चाहते हैं मगर किसी ना किसी कारण के चलते खामोश हैं, और उनकी इस खामोशी की भी अपनी एक चीख हैं जो दुनिया सुन नहीं पा रही, अगर थोडे़ मे समझाने की कोशिश की जाए तो “हर व्यक्ति के अंदर एक जंग जारी हैं, वो जंग भी ऐसी जैसे बरगद के शोर के आगे तिनके का सन्नाटा भारी हैं”