(द दस्तक 24 न्यूज़)13 फरवरी 2025 को जनपद के अतरंजी खेड़ा में पहली बार बैरंजा बुद्ध महोत्सव का आयोजन किया गया, जो उम्मीद से कहीं अधिक भव्य और सफल साबित हुआ। सैकड़ों कार्यकर्ताओं और बौद्ध अनुयायियों ने बैरंजा बुद्ध महोत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष संजय शाक्य ने इसे उम्मीद से बड़ी सफलता बताया और कहा कि हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति गर्व का विषय है। बैरंजा बुद्ध महोत्सव में एटा लोकसभा सांसद देवेश शाक्य, विधायक नादिरा सुल्तान और विधायक वीरेंद्र लोधी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। साथ ही, कई क्षेत्रीय नेता और बौद्ध धर्मगुरु भी इस आयोजन का हिस्सा बने। कार्यक्रम में कई प्रसिद्ध कथावाचकों और गायकों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं। मनोज कुमार ब्लास्टर कथावाचक,अमलेश बौद्ध कथावाचक, आनंद पागल गायक, अभी शाक्य गायक, अरुणिता बौद्ध गायक आदि कलाकारों ने अपने कला कौशल से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और बौद्ध धर्म के संदेश को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया।
बैरंजा बुद्ध महोत्सव में उत्तर प्रदेश के दस से बारह जनपदों से हजारों श्रद्धालु पहुंचे, जो बौद्ध धर्म के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है। भविष्य में इस आयोजन में देश-विदेश से भी श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। अतरंजी खेड़ा पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। इसकी ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए इसे और अधिक विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। संभावित विकास कार्यों में शामिल हैं। बौद्ध स्तूप और ध्यान केंद्रों का निर्माण, वार्षिक बुद्ध महोत्सवों की मेजबानी, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समुदाय को आकर्षित करने के प्रयास, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना का विकास आदि ये योजनाएं प्रभावी रूप से लागू की जाती हैं, तो अतरंजी खेड़ा उत्तर भारत के प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में शामिल हो सकता है।
फर्रुखाबाद जिले का संकिसा एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहां हर साल हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। यदि अतरंजी खेड़ा को भी इसी तरह विकसित किया जाए, तो यह उत्तर भारत में बौद्ध धर्म के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित हो सकता है। आयोजकों ने बैरंजा बुद्ध महोत्सव को हर साल बड़े स्तर पर आयोजित करने की योजना बनाई है और इसके लिए सरकार व प्रशासन से सहयोग की मांग की जा रही है। अगर उचित विकास कार्य किए जाएं, तो अतरंजी खेड़ा निश्चित रूप से भारत के प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में अपनी जगह बना सकता है।