ऊर्जा विभाग में 14 निदेशकों की भर्ती प्रक्रिया में तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई हैं। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा की गई इस बड़ी कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया।
आरोप हैं कि निदेशक के पद पर चहेतों को तैनाती देने के मकसद से ही विभाग में 14 पदों पर डायरेक्टर की भर्ती की जानी थी। नियम विरुद्ध तरीके अपनाए जाने के कारण पूरी प्रक्रिया पहले से ही सवालों के घेरे में रही हैं। हालांकि सीएम योगी से निर्देश मिलने के बाद बड़ी कार्रवाई करने की बात कही जा रही हैं।
निदेशकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू से ही शक के दायरें में रही। 18 अक्टूबर को ही मंत्री एके शर्मा द्वारा 14 पदों पर डायरेक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर 4 बिंदुओं पर जवाब मांगा गया था। तभी से अटकले थी कि नियुक्ति प्रक्रिया को रद किया जा सकता हैं।
- ऐसे कितने अधिकारी है जिनको किसी न किसी कारण से चयन या साक्षात्कार कार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है ?
- जिन अधिकारियों को प्रक्रिया से दूर रखा गया यानी उक्त वंचित अधिकारियों में से प्रत्येक के बारे में वंचित किए जाने के क्या कारण यह स्पष्ट किया जाए
- यह भी संज्ञान में लाया गया हैं कि कुछ अधिकारी विभागीय उदासीनता का शिकार होकर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ अधिकारी सेवा में है परन्तु उनके द्वारा प्राप्त जवाबों या निवेदनों पर अनिर्णय के कारण से वंचित रह गए है।
- इससे भी गंभीर बात यह है कि कुछ अधिकारियों के प्रति वैमनस्यतापूर्ण व्यवहार करते हुए उनके जवाबों और निवेदनों के कुछ दिन पूर्व ही अस्वीकार करके वापस कर दिया गया हैं।
ऊर्जा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा से उपरोक्त तमाम बातो की गहराई से छानबीन करके विभागीय अधिकारियों के प्रति इस प्रकार का व्यवहार करने के लिए कौन-कौन से अधिकारी या कर्मचारी दोषी है, उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित करते हुए उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई करने के लिखित आदेश दिया था। साथ ही इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देते हुए तब तक के लिए प्रस्तावित नियुक्तियों को स्थगित रखने को कहा गया था।
16 अक्टूबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में UPPCL, राज्य विद्युत उत्पादन निगम और UPPCL की सहयोगी वितरण कंपनियों में 14 पदों पर निदेशकों की भर्ती किए जाने की मंजूरी मिली थी। इस भर्ती प्रक्रिया के लिए तत्काल प्रभाव से साक्षात्कार शुरू किए गए थे।